भगवान शिव कल्याण के देवता: प० कृष्णानन्द जोशी

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बिन्दुखत्ता/
बिंदुखत्ता के खुरियाखत्ता क्षेत्र के अंतर्गत वन देवी मंदिर में इन दिनों श्री शिव महापुराण कथा से समूचे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया ।

यहाँ पण्डित श्री कृष्णानन्द जोशी जी द्वारा शिव कथा का वाचन किया जा रहा है श्री जोशी ने श्नद्वालुओं के अपार जन समूह पर श्री शिव महापुराण की महिमां पर सुधामयी वाणी की धार से अमृतवर्षा करते हुए कहा जो भी मनुष्य श्रद्वा के साथ श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करता है, उसके जन्म जन्मान्तर के पापों का हरण हो जाता है, वह जन्म मरण के बन्धन से मुक्त होकर अन्त में भगवान शिव के परम लोक को प्राप्त होता है

 

उन्होने कहा शिव का अर्थ होता है कल्याण ,वे सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं श्री शिव महा पुराण भगवान शिव के लीलाओं और उनके महात्मय से भरा पड़ा है। इसमें ज्ञान का अतुलनीय भंडार है भगवान शिव कम समय में ही थोड़ी सी भक्ति से अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं।

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इस महापुराण के चौबीस हजार श्लोक शिव भक्ति का संचार करती है।उन्होनें कहा श्री शिव महापुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। जिसका उन्होने विस्तार के साथ वर्णन किया उन्होनें कहा कि श्री शिव महापुराण परम कल्याण को देनें वाला है उन्होनें कहा शिवजी स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं।

इस अवसर पर उन्होनें पंचाक्षर व षड़ाक्षर मन्त्र की महिमां का बखान करते हुए कहा यह मन्त्र सबसे अद्भूत है,यह सबसे पहला मन्त्र है।यह मन्त्र भगवान शिवजी का हृदय है।शिवस्वरूप,अत्यन्त गूढ़ से भी गूढ़ मोक्ष और ज्ञान देने वाला है।यह मन्त्र समस्त वेदों का सार है।यह अलौकिक मन्त्र मनुष्यों को आनन्द प्रदान करने वाला और मन को निर्मल तथा पावन करने वाला है।
यह शिव की आज्ञा से परम सिद्ध है। नाना प्रकार की सिद्धियों को देने वाला यह मन्त्र सरल से भी सरल है। लौकिक, पारलौकिक सुख, इच्छित फल एवं पुरुषार्थ की प्राप्ति इसके जाप से सहज हो जाती है।
क्योंकि यह सभी विद्याओं का बीजस्वरूप है।और यह मन्त्र सम्पूर्ण वेद, उपनिषद्, पुराण और शास्त्रों का आभूषण व सब पापों का नाश करने वाला है। इस मन्त्र की महिमां अपरम्पार है।
बड़े-बड़े पातकों का नाश करने में समर्थ है
इस अवसर पर पंच दशनाम जूना अखाड़ा के श्रीमहंत राजन गिरी महाराज श्रीमहंत प्रेमा गिरी पण्डित भाष्कर शास्त्री संतोष कुमार शास्त्री मोहित बुढलाकोटी तारा दत्त पाण्डेय दीप चन्द्र जोशी आचार्य चन्द्रकांत त्रिपाठी मोहन गिरी यजमान खुशाल सिंह कोश्यारी दान सिंह मेहता बहादुर सिंह मंगल सिंह मेहरा नारायण सिंह चौहान रमेश गोस्वामी रामनाथ गोस्वामी देवी दत्त जोशी मोहन सिंह बोरा दीपक बिष्ट रमेश फर्स्वाण पप्पू पानू राधे बिष्ट कमल धानिक कुंवर सिंह कोरंगा भोलू भाई ईश्वर सिंह नेगी जतिन बिष्ट उदय सिंह मेहरा करम सिंह कोरंगा प्रताप सिंह बिष्ट गोविन्द सिंह चौहान दानी कोरंगा खड़क सिंह मेहता मोहन सिंह धानिक चन्दन सिंह धामी दीपक चन्द हरीश सिंह बिष्ट सोनू सत्याल पवन सिंह देउपा विशाल चन्द तम्य कार्की सुमित बोहरा पुष्कर धामी सहित अनेकों भक्तजन मौजूद रहे

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