कालाढूंगी का प्राचीन हनुमान मंदिर : हनुमान भक्तों के लिए प्रकृति की अद्भुत सौगात,वृक्ष पर उभरी हनुमान जी की आकृति के दर्शन से धन्य होते है श्रद्धालु

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कालाढूंगी का प्राचीन हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों के लिए निर्मल व पावन आस्था का केन्द्र है वृक्ष की छाव में स्थित यह मन्दिर हनुमान भक्तों के लिए प्रकृति की ओर से अनुपम भेंट है यहाँ एक वृक्ष में उभरी हनुमान जी की आकृति के दर्शन से भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक आनन्द की प्राप्ति होती है

हल्द्वानी -कालाढूंगी मार्ग पर शहर के प्रवेश द्वार में स्थित यह मनोरम स्थल परम पूजनीय है मार्ग से होकर आने जानें वाले आगन्तुक बडी ही श्रद्धा भावना के साथ हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते है प्राचीन मान्यताओं को अपने ऑचल में समेटे अंजनी नन्दन के प्राकृतिक स्वरुप के दर्शन बरबस ही भक्तों को मन्त्रमुग्ध कर देते है बताया जाता है कि दूर दराज क्षेत्रों से भक्त जन यहाँ मनौती मांगने भी आते है और मनौती पूर्ण होने के पश्चात् पुनः दर्शन के लिए पधारते है इस स्थान पर सेवा दे रहे बाबा हीरानन्द जी ने बताया जो भी मनुष्य विश्वास के साथ यहाँ हनुमान जी से मनौती मांगता है उसकी मनौती बालाजी अवश्य पूर्ण करते है

यह स्थान महान् संत रोखडिया बाबा की साधना स्थली रही है रोखडिया बाबा जी के बारे में कहा जाता है कि बाबा जी एक महान् सिद्ध संत थे लोक मंगल की कामना को लेकर वे यहाँ तपस्या करते थें आज भी लोग बडे स्नेह के साथ उन्हें याद करते है, कहा जाता है कि बाबा जी अलौकिक चमत्कार के स्वामी थे इस क्षेत्र की रक्षा के लिए उन्होंने एक बार बाढ के बेग की दिशा ही बदल दी थी बारहाल कालाढूंगी की पावन भूमि पर स्थित हनुमान जी का यह प्राचीन मन्दिर आस्था व भक्ति का अलौकिक संगम है जिस वृक्ष पर हनुमान जी की आकृति उभरी हुई है वह परम पूजनीय है इसके अलावा यहाँ पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति, शिवजी की पिण्डी, महाकाली व शनि देवता एवं माँ दुर्गा माँ की मूर्तियां शोभायमान है समय- समय पर स्थानीय भक्तजनों द्वारा यहाँ भजन- कीर्तन पूजन-अर्चन भागवत , रामायण , सुन्दरकाण्ड, आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहते है खासतौर से मंगलवार व शनिवार को लोग विशेष रुप से यहाँ पधारते है आस्था व विश्वास के कई रंग होते हैं। प्रकृति की अनुपम छटाओं के बीच कालाढूगी का हनुमान मंदिर भी अद्भूत सुकून का रंग बिखेरता है पेड़ पर हनुमान जी की आकृति उभरी देख लोग श्रद्धा से सिर झुकाकर ही यहां से गुजरते है भगवान भोलेनाथ शिव के 11वें रुद्रावतार श्री हनुमान जी मंगल के कारक देव माने जाते हैं।शीघ्र प्रसन्न होनें वाले देवताओं में हनुमान जी की गिनती होती है कलयुग में तो इनकी आराधना परम फलदायी कही गयी है और वट वृक्ष रुप में इनकी पूजा का वर्णन अवर्णनीय है

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