बिन्दुखत्ता के धामी भवन में श्रीमद् भागवत कथा की गूंज से छाया आध्यात्म का उल्लास, प्रसिद्ध कथा वाचक धर्म मार्तण्ड भागवत किंकर नमन् कृष्ण महाराज ने बताई भागवत की महिमां

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बिन्दुखत्ता/ बिन्दुखत्ता के इन्द्रानगर हाटाग्राम क्षेत्र में स्थित धामी निवास में इन दिनों श्रीमद् भागवत कथा की धूम छायी हुई है प्रसिद्ध कथा वाचक धर्म मार्तण्ड भागवत किंकर नमन् कृष्ण महाराज जी द्वारा इन दिनो यहा मधुर वाणी से श्रीमद् भागवत कथा वांची जा रही है कथा श्रवण के लिए आसपास के ग्रामीणों के अलावा भक्तजन दूर – दराज क्षेत्रों से यहाँ पधार रहे है कथा को लेकर समूचे क्षेत्र में जबरदस्त उत्साह छाया हुआ है श्रद्धालुजन श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर अपने जीवन को धन्य कर रहे है
यहाँ कथा का शुभारम्भ 19 मार्च से भव्य कलश यात्रा के साथ आरम्भ हो चुका है जिसका विराम 25 मार्च को विशाल हवन-यज्ञ व भण्डारे के साथ होगा श्रीमद् भागवत कथा की भव्य एवं दिव्य छत्र छाया में श्रीमती विनिता धामी एवं भगवान सिंह धामी के सुपुत्र चिंरजीवी राजा धामी व श्रीमती इन्द्रा धामी एवं विक्रम धामी के सुपुत्र चिरंजीवी तनुज धामी का यज्ञोपवीत संस्कार भी बुधवार को धूमधाम से आयोजित हुआ

इस अवसर पर नमन कृष्ण महाराज जी ने कहा यज्ञोपवीत सनातन धर्म की सुन्दर पहचान है उन्होंने कहा हिन्दू धर्म में प्रत्येक हिन्दू का परम पावन कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का निष्ठा पूर्वक पालन करना जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ जैसे अनेकों उत्तम कर्म करने का अधिकार प्राप्त होता है।
उपनयन संस्कार के अवसर पर बटुकों को आशीर्वाद देते उन्होने यज्ञोपवीत संस्कार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा उपनयन’ का अर्थ है ज्ञान की ओर बढ़ना जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। इस अवसर पर उन्होंनें गायत्री मन्त्र की महिमां पर भी विशेष रूप से प्रकाश डाला तथा कहा जनेऊ से पवित्रता का अहसास होता है। यह मन को बुरे कार्यों से बचाती है।

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इधर श्री नमन कृष्ण जी ने अपनी सुधामयी वाणी की धार से कथा वाचन करते हुए कहा हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।
उन्होंने कहा ,अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।
भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।यही भागवत की परम विशेषता है। इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये
इस अवसर पर नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेन्द्र लोटनी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हेमवती नन्दन दुर्गापाल राजेन्द्र सिंह बिष्ट रमेश कुनियाल हरेन्द्र असगोला गोपाल जोशी मीना रावत कमल मिश्रा सहित अनेकों मौजूद रहे
धामी परिवार की ओर से श्रीमती भागुली देवी धामी उषा धामी भगवान सिंह धामी विनिता धामी इन्द्रा धामी भूमिका धामी त्रिलोक सिंह धामी गणेश धामी गणेश सिंह गोविन्द धामी तेज सिंह धामी नरेन्द्र धामी राजा धामी तनुज धामी दीपक धामी दैविक धामी दीपक धामी पंकज धामी महेश धामी सहित धामी परिवार के स्वजनों ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया