लालकुआं/17 जुलाई
भाकपा (माले) कार्यकर्ताओं की बैठक पार्टी कार्यालय दीपक बोस भवन में संपन्न हुई। बैठक की शुरुआत शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। लगातार शहीद हो रहे हमारे सैनिकों के लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।
भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि, उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आपदा के मोर्चे पर पूरी तरह फेल साबित हो रही है है। प्रदेश में पहाड़ से लेकर मैदान तक वनाग्नि से लेकर बारिश के कारण पैदा हुए हालातों पर धामी सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक और कामचलाऊ किस्म का बना हुआ है। जिसके चलते जनता को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। शुरुआती बारिश में ही अचानक पानी भरने से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जा रहे हैं लेकिन साल दर साल आपदा के चपेट में आने के बावजूद राज्य में कोई प्रभावी तंत्र और निपटने का इंतजाम भाजपा सरकार नहीं कर सकी है। लंबे समय से स्थाई तटबंध बनाकर गौला नदी के किनारे बाईपास सड़क के निर्माण की मांग माले द्वारा की जा रही है लेकिन अपने चहेतों को हर साल करोड़ों के ठेके देकर मालामाल करने का खुला खेल करने के लिए जनता के जान माल को दांव पर लगाया जा रहा है। भाजपा सरकार के इसी रवैए के चलते रेलवे लाइन, लोगों के घर-खेत से लेकर स्टेडियम तक सब खतरे की जद में आ चुका है लेकिन मुख्यमंत्री जबानी जमा खर्च के अतिरिक्त कुछ करने को तैयार नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि, राज्य में भाजपा की डबल इंजन सरकार की डबल लूट जारी है। पहले से ही महंगाई झेल रही जनता पर पहले बिजली दरों में वृद्धि की मार की गई और अब सब्जी, दालों , फलों के दामों में भारी वृद्धि करके जनता को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है।
वरिष्ठ माले नेता बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, सरकार के गोरक्षा कानून के कारण आवारा हुए गोवंश पशु खेती किसानी को तहस नहस करने का कारण बन रहे हैं। सड़कों पर आवारा गोवंश के कारण आए दिन एक्सीडेंट से मौतों के मामले सामने आ रहे हैं। जनता को राहत देने के लिए या तो सरकार गोरक्षा कानून वापस लेकर गोवंश पशुओं की खरीद फरोख्त पर लगी रोक हटाए या आवारा गोवंश की पूर्ण व्यवस्था सरकार करे अन्यथा इसके लिए व्यापक जनसंपर्क करते हुए आंदोलन किया जाएगा।
बैठक में उत्तराखंड में विधानसभा के दो उपचुनावों- बद्रीनाथ और मंगलौर में जनता द्वारा भाजपा की तोड़-फोड़, खरीद-फरोख्त की राजनीति को नकारने और इंडिया गठबंधन की जीत का स्वागत करते हुए कहा गया कि इस उपचुनाव ने आने वाले समय में उत्तराखण्ड की राजनीति से भाजपा की विदाई का संकेत दे दिया है।
बैठक से देश को पुलिस राज में तब्दील करने के लाए गए तीन नए फौजदारी कानून वापस लेने की मांग की गई ।
मीटिंग में तय किया गया कि पार्टी का विस्तार करने, छात्रों नौजवानों महिलाओं किसानों मजदूरों के मुद्दों को सामने लाने और उनके बीच पार्टी को मजबूत करने के लिए विशेष अभियान संचालित किया जाएगा और 28 जुलाई को माले के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के शहादत दिवस पर विभिन्न स्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बैठक में भाकपा (माले)
जिला सचिव डा कैलाश पांडेय, वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, बिन्दुख़त्ता सचिव पुष्कर दुबडिया, विमला रौथाण, किशन बघरी, नैन सिंह कोरंगा, धीरज कुमार, निर्मला शाही, स्वरूप सिंह दानू, कमल जोशी, गोपाल गड़िया, हरीश भंडारी, त्रिलोक सिंह दानू, दान सिंह मेहरा, धीरज भट्ट, ललित जोशी, प्रमोद कुमार, त्रिलोक राम,आनंद सिंह दानू, अनीता आदि शामिल रहे।
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