हल्द्वानी ( नैनीताल), देवभूमि उत्तराखंड के कर्मठ व लोकप्रिय समाजसेवी गोपाल सिंह रावत का सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा को समर्पित रहा है। यदि कहा जाए कि समाज सेवा में ही आनन्द खोजना ही उनका मूल स्वभाव है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। बेशक! वह 30- 35 वर्षो से वह लगातार राजनीति से भी जुड़े रहे हैं, परन्तु वास्तव में राजनीति को भी उन्होंने सिर्फ और सिर्फ समाज की बेहतर सेवा करने का ही आधार बनाया और आज 71 वर्ष की आयु में भी समाज सेवा एवं राजनीतिक गतिविधियों में अद्भुत सन्तुलन बिठाकर वह अपने निःस्वार्थ लक्ष्य पर अग्रसर हैं।
समाज सेवा के क्षेत्र में अपने सपनों को साकार करने की मशा से श्री रावत ने वर्षों पूर्व भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त की चिर स्मृति में, ” उनसे प्रेरणा लेकर पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त जयंती समारोह समिति ” नाम की संस्था को समाज सेवा का माध्यम बनाया उसी संस्था को आधार बनाकर उन्होंने समाज के हित में और खासतौर से युवा पीढ़ी को उचित मार्गदर्शन प्रदान कएलरने के लिए छोटे- छोटे स्तर पर कार्य करना शुरू किया और समाज के प्रबुद्ध व जागरूक लोगों को सस्था से जोड़कर समाज के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया । समय के साथ – साथ संस्था अपने संकल्प की सिद्धि को अग्रसर रही ।
वर्ष 2016 में श्री रावत ने भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त की राष्ट्र भक्ति को चिरस्थाई बनाने की पवित्र मंशा से डिजिटल मीडिया को आधार बनाने का निर्णय लिया और इसके तहत ” पन्त पथ ” नाम से एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म बनाया । आठ वर्षों के भीतर उनके इस सोशल मीडिया एकाउन्ट पर 8 लाख 80 हजार फॉलोअर्स हैं, जो किसी न किसी रूप में भारत के पूर्व गृह मंत्री भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त के राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को देश-दुनिया के सामने लाने का प्रयास करते रहे हैं।
एक शिष्टाचार मुलाकात में गोपाल रावत से जब पूछा गया कि समाज सेवा के लिए उन्होंने भारत रत्न पण्डित पंत के नाम का सहारा क्यों लिया, तो श्री रावत ने कहा कि महापुरुषों को आधार स्तम्भ मानकर ही भारत जैसे देश में बड़ी-बड़ी संस्थाए बनी हैं और यह एक अच्छी परम्परा है क्योंकि महापुरुषों को आदर्श मानकर कार्य करने से महान प्रेरणा का अविरल प्रवाह मन-मस्तिष्क में बना रहता है । उन्होंने कहा कि अब शीघ्र ही www.pantpath.org नाम से वह समिति की ओर से एक वेबसाइट लॉन्च करने जा रहे हैं। हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में एक साथ जल्द ही देश के चार महानगरों से इसका शुभारम्भ होगा। गोपाल रावत ने कहा कि युवाओं को यदि अच्छे नागरिक बनाना हो तो उनमें अनुशासन, देश भक्ति, देश सेवा, ईमानदारी व समर्पण भाव को प्रबल करना नितान्त आवश्यक है । इसी विजन के तहत वेबसाइट के माध्यम से स्व गोविन्द बल्लभ पन्त के महान व्यक्तित्व एवं अद्भुत कृतित्व से युवा पीढी को परिचित कराकर उनका सही मार्गदर्शन कराने का प्रयास रहेगा। उन्होंने कहा कि महापुरुष समाज व देश के लिए अनुकरणीय होते हैं। इसलिए उनके महान कार्यों और महान त्याग के उदाहरणों को देशवासियों खासकर युवाओं के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी हो जाता है। विशेषतः यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब युवा पीढ़ी अपने गौरव को भूलती जा रही हो, समाज में नित नई विकृतियां पनप रही हों, सद्भाव तथा परस्पर सहयोग का भाव कम हो रहा हो, परिवारों में मिलकर रहने की परम्परा समाप्त हो रही हो और अपने महान सांस्कृतिक मूल्यों व जीवन सिद्वान्तो से लगातार मोहभंग हो रहा हो। श्री रावत ने भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि आजादी के आन्दोलन मे उनके संघर्ष व त्याग की गाथाओं से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं । अपने विराट व्यक्तित्व के कारण ही आजादी से लगभग दस वर्ष पहले ही वह तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के पहले प्रधानमंत्री बने थे और यहीं से स्वतंत्र भारत के स्वप्न को साकार करने का मार्गी तेजी से प्रशस्त हुआ ।
गोपाल रावत , भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त के परिवार का राष्ट्र के निर्माण में किये गये योगदान पर आगे कहते हैं कि पचास वर्षों तक आजादी से पूर्व और पचास वर्ष आजादी के बाद इस महान परिवार ने अपने त्याग से देश को बहुत कुछ दिया । स्वतंत्र भारत में देश के गृहमंत्री के रूप में स्व० श्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने भारतवर्ष की सेवा की । तत्पश्चात उनके सुपुत्र के सी पन्त ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला और आगे बढ़ाया । वह कहते हैं कि विलक्षण प्रतिभा के धनी स्व श्री के सी पन्त योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे और भारत के केन्द्रिय रक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की । इतना ही नहीं उनकी धर्म पत्नी श्रीमती इला पन्त ने देशसेवा की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में नैनीताल सीट से सासद का चुनाव जीता ।
श्री रावत ने बड़े ही सन्तोष भाव से आगे कहा कि इस तरह आजादी के बाद भी लगभग पांच दशक तक पन्त परिवार ने राष्ट्र के निर्माण में लगातार अपना योगदान किया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं की धरती पर जन्मे भारत रत्न पण्डित पन्त ने पहाड़ के साथ ही समूचे भारत को अपनी कर्म भूमि बनाया और राष्ट्र सेवा एवं समर्पण के उच्च प्रतिमान स्थापित किये ।
श्री रावत ने कहा कि इस परिवार द्वारा राष्ट्र के निर्माण में जो त्याग किये, जो संघर्ष किये उनको जन जन पहुंचाने के उद्देश्य से ही पूर्व में उनके नाम से एक बनाई गयी, फिर सोशल मीडिया एकाउन्ट शुरू किया गया और अब वेबसाइट लान्च करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान मे स्व के सी पन्त व श्रीमती इला पन्त के सुपुत्र सुनील पन्त अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को तथा राष्ट्र सेवा की परम्परा को जीवित रखे हुए हैं और इस समिति के माध्यम से अनेकानेक रचनात्मक कार्य करते आ रहे हैं।
यहाँ यह बताते चलें कि समाजसेवी गोपाल रावत ने भी अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में ही लगा दिया। वर्ष 1987 में गोपाल रावत ने हल्हानी के गौरापड़ाव में कुमाऊं मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया। यह कुमाऊं का पहला ट्रेंनिंग सैन्टर था जो आज भी निर्वाध रूप से संचालित है। इस दौरान कुमाऊ भर के बीसियो हजार युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार से जुड़े ।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि गोपाल रावत वर्ष 1988 मे पहली बार ग्राम सभा अर्जुनपुर के प्रधान चुने गये और सात वर्षों तक पद पर रहते हुए स्थानीय विकास को एक नई दिशा देने में सफल रहे।
अपने कार्यकाल में श्री रावत के प्रयासों से तत्कालीन रक्षा मंत्री के सी पन्त इस गाव में पहुंचे थे । अपने सरल व विनम्र स्वभाव एवं निःस्वार्थ सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध श्री रावत का जन्म बागेश्वर जनपद अन्तर्गत कमस्यार घाटी के रावतसेरा गांव में वर्ष 1951 में हुआ था। बचपन में वह अपने पिता गंगासिंह रावत एवं माता जी गोदावरी देवी के संरक्षण में इलाहाबाद में ही पले बढ़े तथा वहीं पर शिक्षा दीक्षा प्राप्त की । इलाहाबाद में ही माता = पिता के साथ रहते हुए आपको कुछ सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ । इस प्रकार समाज सेवा के क्षेत्र में ही कार्य करने का संकल्प लेकर आपने अपनी जीवन यात्रा शुरू की जो आज 71 वर्ष की आयु में भी बिना थके लगातार चल रही है।
कुल मिलाकर गोपाल सिंह रावत समाज के लिए महान प्रेरणा के स्रोत हैं । उनकी प्रेरणा का ही प्रतिफल है कि आज समिति के राज्य संयोजक ललित भट्ट व गोविन्द सिंह डंगवाल लगातार श्री रावत के साथ तन मन धन से सामाजिक कार्यों में जुटे हुए हैं और हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
मदन जलाल मधुकर
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