गणेश चतुर्थी पर विशेष : आधुनिक युग में गणेश पूजन का महत्व

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(विजय कुमार शर्मा – विभूति फीचर्स)

श्रीगणेश,जिन्हें विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, बुद्धि और विवेक के अधिपति कहा गया है, आज केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि आधुनिक जीवन की चुनौतियों से जूझते हुए हर व्यक्ति के मार्गदर्शक भी हैं। प्राचीन काल में भी हर कार्य की शुरुआत गणपति पूजन से होती थी और आज भी वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह परंपरा हमारे जीवन की व्यावहारिक आवश्यकताओं को पूरा करती है।

1. मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन

आधुनिक जीवन भागदौड़, प्रतियोगिता और तकनीक पर आधारित है। ऐसे में व्यक्ति चिंता और अवसाद से ग्रसित हो जाता है। श्रीगणेश की उपासना, मंत्रजप और ध्यान मन को स्थिर करते हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि *“ॐ गं गणपतये नमः”* मंत्र के उच्चारण से मस्तिष्क की तरंगें संतुलित होती हैं, तनाव कम होता है और आत्मबल बढ़ता है।

2. ज्ञान, स्मरण शक्ति और विवेक का विकास

गणेश जी को विद्या और बुद्धि का देवता कहा गया है। छात्रों, शोधकर्ताओं, और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए गणेश पूजन विशेष लाभकारी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में केवल जानकारी नहीं, बल्कि निर्णय क्षमता और तर्कशक्ति की आवश्यकता है, और यह गुण गणपति आराधना से पुष्ट होते हैं।

3. सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का मार्ग

घर या कार्यस्थल पर गणेश पूजन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा व्यक्ति को निरंतर प्रेरित करती है और कार्य में आने वाली रुकावटें स्वतः दूर होने लगती हैं। आधुनिक कॉर्पोरेट संस्कृति में भी लोग अपने ऑफिस की शुरुआत श्रीगणेश वंदना से करते हैं ताकि कार्यक्षमता और टीम स्पिरिट बनी रहे।

4. सामाजिक एकता और राष्ट्रीय चेतना

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव को घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर सार्वजनिक मंच दिया। तब से गणेश उत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि स्वाधीनता संग्राम, समाज-सुधार और सांस्कृतिक एकता का माध्यम बना। आज भी यह पर्व समाज को जोड़ने और सामूहिकता का बोध कराने वाला उत्सव है।

5. पर्यावरण और आधुनिक चेतना

आधुनिक युग में पर्यावरण संकट सबसे बड़ी चुनौती है। गणेश उत्सव अब पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों, स्वच्छता अभियान और जल संरक्षण का संदेश देने वाला भी बन चुका है। श्रीगणेश केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय संतुलन के प्रतीक भी हैं।

6. आध्यात्मिक और नैतिक संतुलन

आधुनिक युग भौतिकता से भरा हुआ है, जहाँ मानवीय मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं। गणेश पूजन हमें विनम्रता, संयम, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाता है। यह जीवन के हर क्षेत्र में नैतिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

आधुनिक युग में गणेश पूजन केवल परंपरा का पालन नहीं, बल्कि एक जीवन प्रबंधन सूत्र है। यह हमें मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, ज्ञान, सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का मार्ग दिखाता है। श्रीगणेश की उपासना से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे युग कितना भी बदल जाए, जीवन को सफल बनाने के लिए आस्था और विवेक दोनों आवश्यक है। *

 

(विजय कुमार शर्मा – विभूति फीचर्स)

 

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