अस्कोट का मल्लिकार्जुन मंदिर आस्था व भक्ति का केन्द्र: पंकज

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अस्कोट/ जनपद पिथौरागढ़ के अस्कोट में स्थित मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर आस्था का परम केंद्र है समाजसेवी पंकज सिंह ने मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर में पूजा अर्चना की समस्त क्षेत्र की सुख समृद्धि व मंगल की कामना की
उल्लेखनीय है कि समाजसेवी पंकज सिंह धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सदैव सक्रिय रहते है आध्यात्म में भी गहरी रुचि है वे उत्तराखंड स्वयं हिंदू राष्ट्र महासंघ प्रदेश मीडिया प्रभारी भी है उन्होंने बताया अस्कोट के इंटर कॉलेज बच्चों द्वारा मंदिर के चारों तरफ काफी संख्या में पेड़ पौधे लगाए है जो प्रकृति संरक्षण के लिए बहुत बेहतरीन योगदान है मल्लिकार्जुन महादेव का मन्दिर पवित्र पहाड़ों की गोद में एक ऐसा दिव्य स्थल है जो पौराणिक काल से परम पूज्यनीय है अस्कोट पाल राजाओं का गढ़ भी रहा है तथा काफी प्रसिद्ध है

समाजसेवी पंकज सिंह ने बताया कि मन्दिर के चहुमुखी विकास व इसे तीर्थाटन का प्रमुख केन्द्र बनाये जानें हेतु उन्होंनें मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर मंदिर के विकास की मांग की है उन्होंनें बताया मल्लिकार्जुन मंदिर को भव्य एवं एवं विशाल व बनाये के लिए वे सतत् प्रयासरत रहेंगें
उल्लेखनीय है कि अस्कोट की पवित्र पहाड़ियों में अंगलेख चोटी पर स्थित श्री मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था व भक्ति का केंद्र है। यहां स्थित शिवलिंग स्वंयभू शिव लिंग है भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुन का ही यह शिव लिंग स्वरूप माना जाता है।
बताया जाता है कि अस्कोट रियासत पर राजा महेन्द्र पाल के शासन काल में एक चमत्कारिक घटना घटी। एक रात नेपाल की शिखर नामक पहाड़ी की चोटी से चमकीला ज्योतिपुंज उड़कर अस्कोट के धर्मशाला इलाके के समीप स्थित मंदिर पर आ गिरा। इस प्रकाश पुन्ज से एक विशेष प्रकार का शंख व अद्भूत घंटी प्रकट हुई। इस घटना के कुछ दिनों बाद क्षेत्र में एक और चमत्कारिक घटना घटी। अस्कोट की अंगलेख की इसी चोटी पर आसपास के गांवों से यहां चरने जाने वाले मवेशियों में से एक दुधारू गाय यहाँ प्रतिदिन अपना दूध दूहकर चली जाती थी बाद में एक ग्वाले की नजर यहां पड़ी तो शिवलिंग के दर्शन हुए यह सूचना जब राजपरिवारीजनों तक पहुंची तो वहां तत्कालीन राजा ने श्री मल्लिकार्जुन महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। साथ ही पूर्व में नेपाल के शिखर से चमकीले ज्योतिपुंज के रूप में आए शंख व घंटी को ले जाकर विधि-विधान से मन्दिर को समर्पित किया शिवरात्रि सहित तमाम पर्वों पर यहाँ विशेष मेले आयोजित होते है यहाँ माता पार्वती की पूजा मल्लिका व शिवजी की पूजा अर्जुन के रूप में होती है

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