सूनी होती कुचौली व खन्तोली गाँव की खनक

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  • हिमालय के आंचल में स्थित कुचौली व खन्तोली गाँव आध्यात्मिक रुप से जितने समृद्व है। सौर्दय की छटाओं के लिए उतना ही प्रसिद्ध भी लेकिन पलायन के दंश से अब गाँवों की रौनक सूनी होती जा रही है। खन्तोली के पास में स्थित कुचौली गाँव तो लगभग खाली हो चुका है। अधिकतर घरों में ताले लटक चुके है मूलभूत सुविधाओं के अभाव व बेरोजगारी के दशं से जूझ रहे युवा रोजगार की तलाश में तेजी से शहरों की ओर पलायन कर रहे है। जीवंत रौनकों का केन्द्र रहा कुचौली गांव तो अब लगभग खाली हो चुका है।
  • इस गांव में एक दो घरों में ही इक्के दुक्के लोग रह गये है। शेष पूरा गाँव खाली हो चुका है।कुशंण्डी ऋषि की तपोभूमि कुचौली गाँव की सुन्दरता अतुलनीय है। रमणीक पहाडियों के बीच में बसे इस गाँव में ऋषि कुशण्डी का हवन कुण्ड़ अनमोल धरोहर के रुप में गांव के आध्यात्मिक समृद्वशालीता को दर्शाता है
  • जनपद मुख्यालय से लगभग चालीस किमी की दूरी पर स्थित खन्तोली गाँव ने देश को एक से बढ़कर एक अफसर दिए है। जटिल परिस्थितयों में शिक्षा ग्रहण करके इस गाँव के लोगों ने देश भर में नाम रोशन किया है। गॉव के हर आगंन से एक अफसर निकला है। काड़ा विजयपुर मार्ग से लगभग चार किमी की दूरी पर स्थित इस गाँव में व इसके आसपास के गाँवों में पहाड़ जैसी समस्याओं का अम्बार है। तमाम प्रकार के झंझावतों को झेलनें के बाद भी समूचे उत्तराखण्ड़ में इस गाँव की अपनी एक अलग पहचान है
  • इस गाँव के निकली प्रतिभाओं की लम्बी सूची है। आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, आईएफएस, सेना में अफसर , चिकित्सा, इंजीनियर , व्यवसाय, शिक्षा व विज्ञान के क्षेत्र इस गाँव ने समूचे देश में नाम रोशन किया है। कुमाऊँ में सर्वप्रथम बिजली की रोशनी पहुचानें का कार्य भी इस गाँव के इजीनियर रामचन्द्र पंत की देखरेख में हुआ आजादी के अविस्मरणीय योगदान में पूर्णानन्द पंत, पुरुषोत्तम पंत, चन्द्रशेखर पंत, देवी दत्त पंत, हरिदत्त पंत, नारायणदत्त पंत आदि का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।कुल मिलाकर वर्तमान समय में खन्तोली की खनक पलायन से फीकी पड़ गयी है। और पास स्थित कुचौली गांव वीराने की ओर अग्रसर है।
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3 thoughts on “सूनी होती कुचौली व खन्तोली गाँव की खनक

  1. The present condition of both villages is due to the problems of employment , lack of basic facilities and many more who is responsible for it we all know very well about it government is unable to provide facilities i.e education , health ,proper arrangements of roads no doubt Khantoli is a village of scholars many officers in various departments are from this village many well known trs also from Khantoli but the village deprived from prime facilities this is main cause of leaving the village by the people ………….. Darpan Singh Bisht Saniudyar , Uttrakhand

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