स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए राज्य सरकार उठाने जा रही है ऐतिहासिक कदम

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+ विभागीय भ्रष्टाचार व अनियमितताओं पर अंकुश लगाने को अब आयुक्त की नियुक्ति की तैयारी
+ दो जन योद्धाओं की भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई आखिर रंग लाई

देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के मद्देनजर शीघ्र ही एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। यानी विभागीय भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं पर पूर्ण विराम लगाने को सरकार अब स्वास्थ्य आयुक्त की नियुक्ति करने का मन बना चुकी है।
राज्य की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा कदम उठाया है। पहली बार स्वास्थ्य विभाग में एक स्वतंत्र आयुक्त की नियुक्ति की तैयारी हो रही है, जो पूरे विभाग पर सीधी निगरानी रखेगा। सरकार द्वारा यह फैसला हाल के महीनों में लगातार उजागर हुए भ्रष्टाचार, अनियमितता और जन असंतोष के चलते लिया गया है।
इसका श्रेय राज्य के दो जन योद्धाओं को दिया जा रहा है, जो लगातार भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहे थे । आखिरकार उनकी जंग रंग ले आई ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मुख्य सचिव आर. राजेश कुमार और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने इस संबंध में ठोस कार्यवाही शुरू कर दी है। अस्पतालों में हेल्प डेस्क से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक सुधारात्मक ढांचे की पहल हो रही है। यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ, इसके पीछे वर्षों से जारी एक निडर और ईमानदार लड़ाई है, जिसे सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे और आर.टी.आई. कार्यकर्ता चंद्र शेखर जोशी ने अंजाम तक पहुंचाया है।
हाल ही में जारी एक आधिकारिक पत्र में स्वास्थ्य महानिदेशालय स्तर पर भ्रष्टाचार से जुड़ी जिन शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है, उनमें मात्र दो शिकायत कर्ताओं के नाम सामने आए हैं — श्री चंद्र शेखर जोशी और श्री संजय कुमार पाण्डे। यह दर्शाता है कि लाखों लोगों की चुप्पी के बीच, दो ही ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने व्यवस्था की चूलें हिलाने की हिम्मत दिखाई।
इन दोनों ने न केवल भ्रष्टाचार उजागर किया बल्कि अपनी शिकायतें सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, ई.डी., मुख्य सचिव और माननीय उच्च न्यायालय तक पहुँचाईं। इन्होंने RTI, जनहित याचिकाओं, साक्ष्यों और दस्तावेजों के माध्यम से विभागीय घपलों की परतें एक-एक करके खोलीं। इनकी तत्परता व सक्रियता के चलते ही अब शासन द्वारा स्वास्थ्य आयुक्त जैसे प्रभावशाली पद के सृजन पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है ।
सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में ये दोनों सामाजिक कार्यकर्ता कई और बड़े खुलासों की तैयारी में हैं। जिनमें वित्तीय घोटाले, फर्जी बिलिंग, पदों का दुरुपयोग, और आमजन की ज़िंदगी से जुड़े गंभीर मसलों पर दस्तावेज़ आधारित साक्ष्य सार्वजनिक किए जा सकते हैं। यह सिर्फ एक शुरुआत बताई गई है । निकट भविष्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आंदोलन पूरे स्वास्थ्य विभाग को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
माना जा रहा है कि इस लड़ाई में कई और लोगों का भी मौन समर्थन रहा होगा, लेकिन जमीनी स्तर पर संघर्ष और दस्तावेज़ी लड़ाई की बात करें, तो चंद्र शेखर जोशी और संजय पाण्डे की भूमिका सबसे निर्णायक रही। दोनों ने सत्ता और सिस्टम के दबावों को झेलते हुए भी अपना संघर्ष नहीं छोड़ा और साबित कर दिखाया कि जब इरादे नेक हों, तो एक अकेला भी व्यवस्था को आईना दिखा सकता है।
बहरहाल यह बदलाव की एक शुरुआत है । अब बदलाव के लिए लड़ाई तब तक नहीं रुकेगी, जब तक समूचे स्वास्थ्य विभाग की सेहत सुधर नहीं जाती । अर्थात राज्यभर के हर अस्पताल, हर डॉक्टर और हर मरीज के अधिकार सुरक्षित होने तक यह लड़ाई जारी रहने वाली है।

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