लालकुआं।/आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति ,लोक मंगलकारी कर्मो का सृजन करके निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली कर्म ही जिनका महान् आर्दश था ,दया ही जिनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल जिनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि भांति जानती थी, देवभूमि द्वारहाट व यहां के तीर्थ स्थलों के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर जिनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति श्रीमती मोहनी देवी अधिकारी जी अब इस नश्वर संसार में नही रही उनके निधन की सूचना से समूचा क्षेत्र शोक से व्याकुल हो उठा है, यहां के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी श्रीमती मोहनी अधिकारी जी का आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी अनीता मोहनी जी ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी, देवभूमि के देवालयों की वे कायल थी ईश्वर से उनका अमिट लगाव था ।उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी। कुल मिलाकर द्वाराहाट के कोटीला पो० ग्वाड़ हाल निवासी लालकुआँ तहसील कर्मी खीम सिंह अधिकारी की माताजी जी का जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता उनकी जहां ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी, वही समाजसेवी के क्षेत्र में भी वह समर्पित रही। देवभूमि से सदा ही उनका अमिट लगाव रहा था,उनका जीवन अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। यहां के धार्मिक स्थलो व शक्तिपीठों के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। गरीबों के दुख दर्द में सदा ही सहायक रहने वाली ममता की यह मूर्ति सदा ही स्मरणीय रहेगी कोटीला गाँव द्वाराहाट निवासी करूणा की इस देवी ने शनिवार को इस नश्वर संसार से विदाई ले ली लेकिन उनकी पावन यादें सदा ही हम सब का मार्ग दर्शन करते रहेगी / उनका पीपल पानी सस्कार एक मार्च को होगा// रमाकान्त पन्त///
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