सोना आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चला है एक साल के भीतर साठ फीसद दाम बढोत्तरी किसी भी दूसरी वस्तु में देखने को नहीं मिली है लेकिन इसके बावजूद सोने के दाम की दौड़ जारी है। यह कहां जाकर रुकेगा,इस बारे में अभी ताज़ा अनुमान डेढ़ लाख रुपए प्रति दस ग्राम का लगाया जा रहा है। सोना रोज बढ़ रहा है, जिन्होंने सोने में निवेश कर रखा है, वो तो बहुत ही खुश हैं लेकिन जो नहीं खरीद पाए, वो पछता रहे हैं। दरअसल सोने की कीमतों में एकतरफा तेजी देखने को मिल रही है। साल 2025 में ही सोना 60 फीसदी महंगा हो चुका है। ग्लोबल मार्केट में गोल्ड की कीमत $4000 प्रति औंस से ऊपर चली गई है।
अब एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि सोने का इतना महंगा होना भी खतरे से खाली नहीं है। सोने की कीमतों में तेजी को केवल प्रॉफिट से जोड़ना सही नहीं होगा। इसके पीछे डर और अनिश्चितता भी है। एक्सपर्टस् का कहना है कि आज के दौर में सबसे ज्यादा सोना केंद्रीय बैंक, सॉवरेन फंड और संस्थागत निवेशक खरीद रहे हैं, वे सोना इस उम्मीद से नहीं खरीद रहे हैं कि मुनाफा देगा, बल्कि इसके जरिए वे अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षा देना चाहते हैं। यानी सेफ्टी के लिए केंद्रीय बैंक भी सोने भी सोने की तरफ भाग रहे हैं। ऐसे में आप कह सकते हैं कि जब सरकारें रिकॉर्ड ऊंचाई पर सोना खरीदती हैं, तो वे मुनाफे के पीछे नहीं भागतीं। इसके पीछे गहरे राज छिपे होते हैं।
भारतीय जन जीवन में सोने के आभूषणों का चलन सदियों से चला आ रहा है। भारतीयों के लिए सोना निवेश का कोई सर्वमान्य समाधान नहीं है। सोना हमारे रीति, रिवाज और परंपराओं में रचा-बसा है। चाहे दीवाली-अक्षय तृतीया का पर्व हो, बेटी की विदाई का भावपूर्ण अवसर हो या बहू को शगुन में उपहार भेंट करने का शुभ मौका। जीवन में इन तमाम महत्वपूर्ण अवसरों पर हमारे संस्कार और खुशियां सोने के बिना पूर्ण नहीं होती हैं। ऐसे में त्यौहारों के मौके पर और त्योहारों के कुछ दिन बाद शुरू होने वाले शुभ-लग्न में सोने का महंगा होना बहुत परेशान करेगा। कुछ सट्टेबाजों, निवेशकों के लिए बेशक हर दिन महंगा होता सोना कमाई का मौका हो सकता है लेकिन आम भारतीयों के लिए यह गंभीर चिंता और परेशानी का कारण बन गया है। त्योहारों और शादियों का मौसम है। बेटी की शादी होनी है, तो आप कुछ सोने के आभूषण बनवाने की सोच रहे होंगे, लेकिन बजट अनुमति नहीं देता, क्योंकि सोना आम आदमी के बजट से बाहर होता जा रहा है। दरअसल 10 ग्राम सोने के दाम 1.25 लाख रुपये तक पहुंच चुके हैं और चांदी भी 1.5 लाख रुपये के पार चली गई है। आम आदमी बेटी को सोना कैसे दे पायेगा? वर्ल्ड गोल्ड कार्डोसल का मानना है कि सोने में अब भी उतना निवेश नहीं हो रहा, जितना होना चाहिए। वैश्विक निजी निवेश में सोने की हिस्सेदारी मात्र 1-2 फीसदी ही है, जबकि केंद्रीय बैंकों में सोने का रिजर्व 10-20 फीसदी के बीच रहा है। फिर भी यह दिलचस्प और हैरान करने वाला तथ्य है कि 2022 की दीपावली के बाद से सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का आकलन है कि 2026 की दीपावली तक सोने के दाम और बढ़ सकते हैं, क्योंकि बड़े निवेशक और दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने में लगातार निवेश कर रहे हैं। चीन का पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना सितंबर में लगातार 11 वें महीने सोने का शुद्ध खरीददार रहा है। यह डॉलर पर निर्भरता कम करने की चीन की रणनीति का हिस्सा है। 2025 में अभी तक घरेलू बाजार में सोने का रिटर्न करीब 60 फीसदी रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह रिटर्न करीब 53 फीसदी रहा है। गोल्ड ईटीएफ में भी इस साल अभी तक 17 फीसदी निवेश बढ़ चुका है। सितंबर में गोल्ड इंटीएफ में 1.53 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जोकि एक माह में सबसे अधिक है। मौजूदा दौर में सोना इतना महंगा और अनिवार्य हो गया है कि देशों की अर्थव्यवस्था की बुनियाद है, लेकिन आम आदमी के लिए मुसीबत, परेशानी का प्रतीक बन गया है। दरअसल सोने के दाम अमरीका से ही शुरू होते हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कारोबार डॉलर में ही होता है। जनवरी, 2025 में जब ट्रंप ने अमरीकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तो सोना 2700 डॉलर प्रति आउंस था। उनके 8 माह के कार्यकाल में सोना महंगा ही होता गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ की बात शुरू की, तो देशों में अनिश्चितता फैलने लगी, नतीजतन सोना महंगा होता गया। देशों ने सोना खरीदना तेज किया, ताकि कमजोर होते डॉलर के विकल्प के रूप में सोने का भंडार हो। वैसे सोना पूर्व में भी महंगा और सस्ता होता आया है।
पिछले 5 वर्षों में सोने ने करीब 200% का रिटर्न दिया है, सोने की कीमत 5 साल में करीब-करीब तिगुनी हो गई है। जिसमें प्रति वर्ष औसतन 24% का CAGR (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) रहा है। यह इक्विटी जैसे निफ्टी 50 जैसे अन्य निवेशों की तुलना में अधिक रहा है। इस दौरान इक्विटी ने अधिकतम करीब 17% का सालाना रिटर्न दिया है। साल 2020 की शुरुआत में ₹10 ग्राम सोने की कीमत करीब ₹40,000 के आसपास थी, जो 2025 में ₹1,25,000 प्रति 10 ग्राम से ऊपर पहुंच गई है।
आपको 1970-80 का दौर याद होगा , जब सोना कई गुना महंगा हो गया था और वित्तीय सलाहकारों ने सोना खरीदने की सलाह दी थी, लेकिन 1999 तक सोने के दाम अचानक ध्वस्त हुए, तो निवेश भी घटा। 1990-91 के दौर में भारत सरकार को सोना गिरवी रखना पड़ा था, ताकि सामान्य खर्च चलाए जा सकें। फिर उदारीकरण का दौर आया, सोना वापस ले लिया गया, भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर खुल गई। आज देश में सोने का भंडार बढ़ रहा है। रिजर्व बैंक के पास 880 मीट्रिक टन सोने का भंडार है। आरबीआई अपने फॉरेक्स एसेंट को अनुकूलित कर रहा है ताकि डॉलर का प्रभावी विकल्प मौजूद रहे। कई अन्य देशों के केन्द्रीय बैंक वही कर रहे हैं। ऐसा करना देशों की आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन यही बात आम आदमी के लिए बड़ा संकट बन गयी है। शादी-ब्याह में अब सोने का उपहार देना आम आदमी के बहुत कठिन हो गया है, लेकिन फिर भी हमारे रीति-रिवाज और संस्कार ऐसे हैं कि महंगे सोने को भी खरीदना पड़ेगा क्योंकि परंपराओं को निभाना भी जरूरी है।
उधर जानकार लोगों का मानना है कि महंगाई के बावजूद सोना चलन में रहेगा हालांकि अधिक महंगाई के साथ ही मिलावट का भी सिलसिला बढेगा। फिर भी आम आदमी सोने को खरीद पाएगा इसमे शंका ही है।
(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स)











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