हल्दूचौड़/रामनगर क्षेत्र में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। रात ढलते ही खेतों की तरफ झुंडों में आने वाले हाथी फसलों को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण अपनी मेहनत से बोई गई फसल को बचाने के लिए नींद त्यागकर पूरी रात टॉर्च, डंडे और अलाव के सहारे खेतों की रखवाली कर रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार बीते कई दिनों से हाथियों के आने की घटनाएँ तेज़ी से बढ़ी हैं। खेतों में लगी गेहूं, गन्ना और धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। हाथियों का झुंड खेतों में घुसकर फसल रौंद देता है जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का खतरा खड़ा हो जाता है।
इस चौकसी में गाँव के युवा, बुजुर्ग और वन विभाग की टीम भी शामिल हो रही है। लोग अलाव जलाकर खेत की ओर जाने वाले रास्तों पर पहरा दे रहे हैं ताकि हाथियों को गांव की ओर आने से रोका जा सके।
समाजसेवी दया कृष्ण जोशी ने कहा—
“हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। वन विभाग को जल्द ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे हाथियों का मार्ग सुरक्षित रहे और किसानों की फसल को नुकसान न हो। ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर रातभर जाग रहे हैं, यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार और प्रशासन को तत्काल प्रभाव से समाधान की दिशा में कदम उठाना चाहिए।”
वन विभाग से ग्रामीणों की मांग
फसल नुकसान पर मुआवजा प्रक्रिया आसान की जाएगांव के पास कंट्रोल लाइन, चेतावनी सिस्टम या सोलर फेंसिंग लगाई जाए गश्त बढ़ाई जाए और हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखी जाए
स्थिति गंभीर लेकिन उम्मीद बरकरार
ठंडी रातों में भी ग्रामीणों की हिम्मत कम नहीं हुई है। सामूहिक प्रयास से वे अपनी फसल और गांव की रक्षा में जुटे हैं। गांव के युवाओं की भूमिका इस अभियान में सराहनीय बताई जा रही है। ग्रामीणों की यह जागरूकता और एकजुटता इलाके के लिए प्रेरणादायक है। लेकिन यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो मानव–प्रकृति संघर्ष और गंभीर रूप ले सकता है।
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