त्वरित फलदायी हैं बिन्दुखत्ता के बिन्देश्वर महादेव

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लालकुआं ( नैनीताल ), इन्द्रानगर बिन्दुखत्ता क्षेत्र में स्थित प्राचीन विन्देश्वर महादेव का भव्य मंदिर स्थानीय शिव भक्तों के साथ ही दूर-दराज के श्रदालुओं के लिए भी आस्था व विश्वास का एक अद्भुत केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ परम विभूषित बिन्देश्वर महादेव को त्वरित फलदायी और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। यही कारण है कि तराई भाभर क्षेत्रों के अलावा उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलो से और उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती नगरों से भी श्रद्धालु अक्सर इस मन्दिर के दर्शनार्थ पहुंचते हैं। पर्व, उत्सव, संक्रान्ति के मौकों पर यहाँ भक्तो की भारी भीड़ देखी जा सकती है।
बताया जाता है कि विन्देश्वर महादेव यहाँ प्राचीनकाल से ही स्थित है। क्षेत्र के कई बुजुर्ग बताते हैं कि अस्सी के दशक से पूर्व से यहाँ महादेव की पूजा होती है । वर्ष 1982 में जब यहाँ बसासत शुरू हुई तो धीरे धीरे चारा, ईंधन आदि जरूरतों के लिए इसके आसपास आना- जाना आरम्भ हो गया ।इसी दौरान पहली बार बिन्दुखता वासियों को मालूम चला कि यहाँ पर भगवान विन्देश्वर साक्षात विराजमान हैं
फिर क्या था कि यकायक यहाँ पहुंचने वाले श्रद्धालु भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। इतना ही नहीं  यहाँ पर शिव महापुराण, श्रीमद देवी भागवत, श्रीमद्भागवत, अखण्ड रामायण, सुन्दर काण्ड पाठ व कीर्तन भजन जैसे धार्मिक आयोजन होने लगे।
महाशिव रात्रि के अवसर पर उत्सव भी मनाया जाने लगा। समय समय पर भण्डारे का आयोजन होने लगा और भक्तों की आवा – जाही बढ़ती गयी।
लम्बे समय तक बिन्देश्वर महादेव यहाँ सघन वन के बीच लिंग रूप में ही पूजित व सेवित रहे, बाद में स्थानीय भक्तों की पहल पर एक छोटे मन्दिर का निर्माण किया गया।
तकरीबन पचास वर्षों से समूचे बिन्दुखत्ता क्षेत्र के लोगों के लिए गहरी आस्था का केन्द्र रहे इस प्राचीन देव स्थल को नया और भव्य स्वरूप में लाने के विचार से भक्तों द्वारा बिन्देश्वर महादेव मंदिर समिति का गठन किया गया और फिर जनसहयोग से नये मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। वर्तमान में बहुत ही भव्य रूप में इस महादेव मन्दिर का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है। यहाँ पचदेवों को स्थापित किया गया है। शिव-पार्वती, गणेश, व नन्दी की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं । इसके अलावा हनुमान जी और भैरव जी की मूर्ति भी स्थापित की गयी है।
मन्दिर समिति के अध्यक्ष शेरसिंह दानू जो कि एक प्रसिद्ध कुमाउनी लोक गायक भी हैं, ने बताया कि यहाँ विराजमान बिन्देश्वर महादेव को भक्तजन अपने अनुभवों के आधार पर बड़ा ही चमत्कारी शक्ति मानते हैं। यह अक्सर देखने में आता है कि जिन भक्तों की गहरी आस्था होती है, उनके सारे काम सहज ही बनते चले जाते हैं और ऐसा कहने वाले अनेक भक्त यहाँ मिल जाते हैं।
कुल मिलाकर जनसहयोग से भव्य आकार ले चुका यह मन्दिर अब क्षेत्रवासियो के लिए एक तीर्थ की मान्यता प्राप्त कर रहा है।
मन्दिर के सुव्यवस्थित संचालन के लिए गठित समिति में अध्यक्ष शेरसिंह दानू के अलावा सचिव देव सिंह देवली, उपाध्यक्ष शिवराज सिंह, कोषाध्यक्ष गोकुलानंद उपाध्याय तन – मन- धन से अपनी जिम्मेवारी निभा रहे हैं।
इसी के साथ समिति का एक संरक्षण मण्डल और मार्गदर्शक मण्डल भी बनाया गया है। इसमें दीप चन्द्र जोशी, मनोज बसनायत, पुष्कर दानू, सूर सिंह फर्सस्वाण, चन्द्र शेखर कर्नाटक, पूरन नगरकोटी, राजू शर्मा, चेतन पाण्डे, सागर शर्मा तथा पवन सनवाल प्रमुख रूप से शामिल हैं। मन्दिर में सभी आयोजन इन्हीं महानुभावों के सहयोग से सम्पन्न होते हैं।

मदन मधुकर

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