हल्द्वानी। विश्वरत्न और भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बी. आर. आंबेडकर जन्म दिवस समारोह समिति द्वारा शनिवार, 06 दिसंबर को श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने बाबा साहेब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण नमन किया।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब का 06 दिसंबर 1956 को दिल्ली में निधन हुआ था। वे केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के सशक्त प्रणेता, सामाजिक न्याय के अग्रदूत और शोषित वंचित समाज की आवाज थे। उनका संपूर्ण जीवन समानता, शिक्षा और अधिकारों के लिए समर्पित रहा, जो आज भी पूरे देश को प्रेरणा देता है।
कार्यक्रम की रूपरेखा
कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष दीपदर्शन ने की।
संरक्षक दीपक चनियाल विशेष रूप से उपस्थित रहे।
संचालन दिनेश आर्य द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, गणमान्य नागरिकों व समिति सदस्यों ने बाबा साहेब के जीवन संघर्ष, संविधान निर्माण में उनके योगदान और आधुनिक भारत की आधारभूत सोच में उनकी महती भूमिका पर चर्चा की।
उपस्थित प्रमुख लोग
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में—
जी.आर. टम्टा, सुमन गौतम, आर. पी. गंगोला, सुंदरलाल बौद्ध, नफीस अहमद खान, महेश चंद्र आर्य, हरीश लोधी, पंकज आंबेडकर, संजय कुमार टम्टा, पूजा, मीना, चंदा देवी, अशोक कुमार, कृष्णवती, पी.आर. टम्टा, मुकेश बौद्ध, रितिक कांत, शंकर लाल, रविकांत, आर.आर. आर्य, हेमा आर्य, एडवोकेट अंजू, आकाश भारती, महेश, पंकज सहित कई लोग शामिल रहे।
एक संदेश, समानता और न्याय का
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनों ने बाबा साहेब के मिशन — “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” — को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
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