विशेष रिपोर्ट | लालकुआँ में बहेगी भक्ति की सरिता :18 दिसंबर से पधार रहे प्रसिद्ध रामकथावाचक डॉ. पंकज मिश्रा ‘मयंक’”

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लालकुआँ।

धीमी सर्द हवाओं के बीच लालकुआँ में इन दिनों एक अनोखी आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस की जा रही है। कारण है देश के सुप्रसिद्ध रामकथावाचक, पंडित डॉ. पंकज मिश्रा ‘मयंक’ का आगमन। 18 दिसंबर से आरंभ होने जा रही श्रीराम कथा के लिए नगर में उत्साह का अद्भुत माहौल है। स्थानीय भक्त ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालु भी इस दिव्य आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

वेद-पुराणों के प्रकाण्ड विद्वान, मधुर वाणी के धनी

डॉ. पंकज मिश्रा ‘मयंक’ को देशभर में उनकी भव्य प्रस्तुति शैली, गहन आध्यात्मिक ज्ञान और भावपूर्ण वाणी के लिए जाना जाता है। वे रामकथा, श्रीमद्भागवत महापुराण, शिव पुराण, तथा अनेक दार्शनिक विषयों के प्रकाण्ड विद्वान हैं। उनकी कथा शैली में सरलता, गूढ़ आध्यात्मिकता,और मन को छू लेने वाली गायन-शैली तीनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यही कारण है कि उनके कथा-सत्रों में प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को प्रभु की दिव्य लीला में खोता हुआ पाता है।

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लालकुआँ से वर्षों पुराना स्नेह-सम्बंध

डॉ. मिश्रा का लालकुआँ से विशेष आत्मीय संबंध रहा है। बीते कई वर्षों से वे यहाँ की आध्यात्मिक धारा, भक्ति-भाव और श्रद्धालु समुदाय के प्रेम से गहराई से जुड़े हुए हैं।
स्थानीय भक्त बताते हैं कि “मयंक जी जब भी लालकुआँ आते हैं, लगता है जैसे घर लौटे हों।” उनकी कथा न केवल मन को प्रकाश देती है, बल्कि समाज में धर्म, संस्कार और आस्था की नींव को गहरा करती है।

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18 दिसंबर से प्रारंभ श्रीरामकथा भक्त उत्साहित

आयोजकों के अनुसार इस बार कथा-स्थल को भव्यता से सजाया जा रहा है। प्रतिदिन शाम को होने वाले कथा-वाचन में
प्रभु श्रीराम के आदर्श,भक्तों के चरित्र,जीवन-शैली में धर्म की स्थापना,और समाज में सद्भाव की आवश्यकता पर विशेष प्रकाश डाला जाएगा। कथा के साथ-साथ भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचनों की भी विशेष व्यवस्था की गई है।
भक्तों का कहना है कि “मयंक जी के श्रीमुख से कथा सुनना एक आध्यात्मिक तीर्थ जैसा अनुभव होता है।”

उत्तराखंड में विशेष ख्याति

अपनी विद्वता, संयमित वक्तृत्व और दिव्य प्रस्तुति कला के कारण डॉ. पंकज मिश्रा ‘मयंक’ की उत्तराखंड में विशेष प्रतिष्ठा है। कुमाऊँ-गढ़वाल के अनेक नगरों में वे अपनी कथा सुना चुके हैं और हर स्थान पर अमिट छाप छोड़ते आए हैं। उनकी कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन का गूढ़ मार्गदर्शन बन जाती है।

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लालकुआँ तैयार, श्रद्धा का उत्सव शुरू होने को

18 दिसंबर से लालकुआँ एक बार फिर भक्ति, संगीत और आध्यात्मिक चेतना से सराबोर होने जा रहा है।
डॉ. पंकज मिश्रा ‘मयंक’ का आगमन इस नगर के लिए केवल एक कथा-आयोजन नहीं, बल्कि आस्था का पर्व है।
श्रीराम कथा के माध्यम से लालकुआँ में एक बार फिर धर्म, प्रेम और मर्यादा की ज्योति प्रज्वलित होने को है।

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