भद्रकाली दरबार में श्रीमद् भागवत कथा 13 जून से, भक्तों में जबरदस्त उत्साह, प्रसिद्ध कथावचक किशोर जोशी की मधुर वाणी से गूंजेगी कथा की गूंज

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बागेश्वर/ भक्तों की परम आस्था का केन्द्र कमस्यार घाटी में स्थित माँ भद्रकाली दरबार में आगामी 13 जून शुक्रवार से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ होनें जा रहा है कथा का विश्राम 20 जून को होगा श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन को लेकर समूचे क्षेत्र में जबरदस्त आध्यात्मिक उत्साह छाया हुआ है यहाँ कथा का वाचन उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य किशोर जोशी द्वारा किया जाऐगा
13 जून को भव्य कलश यात्रा के साथ माँ भद्रकाली मन्दिर में श्रीमद् भागवत कथा की गूंज रहेगी कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से सांय 4 बजे तक चलेगी तत् पश्चात् भजन कीर्तन आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होगें यहाँ कथा के मुख्य यजमान श्री ललित जोशी एवं श्रीमती ज्योति जोशी प्रथमेश जोशी यश जोशी आदि है
मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भण्डारी ने समस्त भक्तजनों का आवाहन करते हुए कहा है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कथा श्रवण कर अपनें जीवन को धन्य करें

इधर मधुरभाषी श्रीमद् भागवत कथा के मर्मज्ञ किशोर जोशी द्वारा यहाँ कथा वाचन की सूचना पर समस्त क्षेत्र वासी कथा श्रवण को बेहद उत्साहित है

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इधर कथा वाचक आचार्य पण्डित किशोर जोशी कहते है कि माँ भद्रकाली का दरबार पावन आस्था का केन्द्र है इस स्थान पर श्रीमद् भागवत कथा होना माँ भद्रकाली की असीम कृपा का प्रतिफल है उन्होंने कहा हर पल माँ का सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

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उन्होंने कहा संसार का कोई सार नही है कथा से ही हर ब्यथा का अन्त होता है सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।

वे बताते है,अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है, माँ भद्रकाली ही श्रीकृष्ण स्वरूपा है ।
श्रीमद्भागवत कथा की महिमां पर प्रकाश डालते हुए वे कहतें है।श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।यही भागवत की परम अलौकिक विशेषता है। इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये माँ भद्रकाली परम मंगलता को प्रदान करती है इनके दरबार में कथा वाचन करना उनके लिए परम सौभाग्य की बात है