कृष्ण भक्ति एवं गौ सेवा को समर्पित रहा कात्यायनी दासी का सम्पूर्ण जीवन,

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कात्यायनी देवी दासी का महाप्रयाण: गोधाम से गोलोक की दिव्य यात्रा
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कृष्ण भक्ति एवं गौ सेवा को समर्पित रहा कात्यायनी दासी का सम्पूर्ण जीवन
**************************** सवा दो सौ भागवत कथा श्रवण पान का पाया दुर्लभ सौभाग्य
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गौधाम- हल्दूचौड़ ( नैनीताल ), श्रील् नित्यानन्द पाद आश्रम गौधाम , हल्दूचौड़ में योगेश्वर श्री कृष्ण की अटूट भक्ति में वर्षों तक रत रह कर एवं गौ सेवा जैसे पावन कार्यों को श्रद्धापूर्वक सम्पादित करते हुए कात्यायनी देवी दासी अन्ततः अपनी नश्वर देह का परित्याग करके महाप्रयाण को प्राप्त हो गयी। अर्थात गौधाम से गोलोक की दिव्य यात्रा के लिए प्रस्थान कर गयी ।
बीते 27 जून 2024 को 95 वर्षीय कात्यायनी देवी दासी ने हल्दूचौड़ के परमा गांव स्थित गौधाम में अपनी श्वासों को पूर्ण विराम देते हुए भगवान श्रीकृष्ण के पावन धाम गोलोक की दिव्य यात्रा के लिए प्रस्थान किया । इस अवसर पर कात्यायनी देवी दासी के सुपुत्र एवं आश्रम के संचालक रामेश्वर दास के अलावा सम्पूर्ण गौधाम आश्रम परिवार के गौ सेवकों तथा हजारों कृष्ण भक्तों ने उनको अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की ।
दूसरे दिन यानी 28 जून की सुबह का कात्यानी देवी दासी के नश्वर देह की अन्तिम यात्रा चित्रशिला घाट रानीबाग के लिए निकली, जहाँ सनातन वैदिक परम्परानुसार कात्यायनी देवी दासी को अन्तिम विदाई दी गयी।
कात्यनी देवी दासी का पूर्व नाम श्रीमती कमला जोशी था। उनकी जीवन यात्रा का अधिकतर समय यूं तो दनिया ( अल्मोड़ा ) के समीप टकोली गांव में बीता । परन्तु वर्ष 2003 में 75 वर्ष की आयु में गौधाम आश्रम आकर श्रीकृष्ण भक्ति तथा गौ सेवा को अपना जीवन समर्पित कर दिया ।
गाव में रहते हुए जहाँ उन्होंने धर्म परायण जीवन जीते हुए लगातार गौ पालन व गौ सेवा का कार्य किया वहीं कृष्ण भक्ति में भी सदैव तत्पर रहीं ।
जैसा कि सर्वविदित है गौधाम आश्रम हल्दूचौड़ वर्तमान में उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध गौपालन व गौ सेवा केन्द्र के रूप में जाना जाता है। आश्रम के संचालक रामेश्वर दास कहते हैं कि परम श्रद्धेय एवं पूज्या माँ के महाप्रयाण से सारा आश्रम परिवार शोकाकुल है, लेकिन वे सभी मॉ कात्यानी देवी दासी की शाश्वत उपस्थिति यहाँ पर महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि माँ के पुण्य कर्मों के प्रसाद स्वरूप ही उनको कृष्ण भक्ति एवं गौ सेवा की अद्भुत प्रेरणा प्राप्त हुई।
शोकाकुल आश्रम परिवार का कहना है कि नश्वर देह तो एक न एक दिन अवश्य पूर्ण होती है लेकिन माँ कात्यनी देवी दासी सदैव उनके हृदय में विराजित रहेंगी।

यहाँ यह भी बताते चलें कि कात्यायनी देवी दासी को यहाँ गौधाम आश्रम में लगातार सवा दो सौ भागवत कथा श्रवण पान का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
दरअसल आश्रम में विगत कई वर्षों से लगातार भागवत कथा चली आ रही है। और आगे भी यह पावन अभियान जारी रहेगा। अब तक लाखों लोग इस अमृत कथा का पान कर जीवन धन्य कर चुके हैं। वास्तव में माँ कात्यायनी देवी दासी के आशीर्वाद से ही उनके सुपुत्र रामेश्वर दास इस दिव्य कार्य को करने में सफल रहते आये हैं। उनका पीपलपानी संस्कार 8 जुलाई को है

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