अल्मोड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी और प्रशासन की उदासीनता शर्मनाक एवं चिन्ताजनक : संजय पांडे

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+ ऑक्सीजन प्लांट, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, सीटी स्कैन मशीन की खराबी के चलते । चरमरा गयी हैं स्वास्थ्य सेवाएं
+ गर्भवती महिलाओं के अनावश्यक रेफर को लेकर भी उठ रहे हैं सवाल
अल्मोड़ा, जनपद का मेडिकल कॉलेज, जिसे इस पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, आज वही लाचार दिखाई दे रहा है । स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी तथा विशेषज्ञों डॉक्टरों की लगातार कमी अत्यन्त शर्मनाक व चिन्ताजनक है। यह बात लोकप्रिय समाजसेवी संजय पाण्डे ने कही है।
संजय पाण्डे ने कहा है कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज खुद में संकट के दौर से गुजर रहा है। बीते कई वर्षों से यहाँ तमाम बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है। जनहित के मुद्दों की घोर अनदेखी और प्रशासन की निष्क्रियता के चलते जहाँ लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नही मिल पा रहा है, वहीं मरीजों की जिंदगी को जोखिम में डाल दिया है।
संजय पाण्डे ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट और बूस्टर उपकरण की मौजूदगी के बावजूद जनता को सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज परिसर में वर्षों से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित है, और हाल ही में बूस्टर उपकरण भी लगाया गया है, लेकिन लोगों को इन सुविधाओ से वंचित रखना काफी शर्मनाक है।
बता दें कि उपरोक्त सुविधा का प्रमुख श्रेय सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे को ही जाता है । बीते वर्षों में श्री पाण्डे ने इस सेवा को यहाँ स्थापित कराने के लिए अथक संघर्ष किया है।
आश्चर्य जनक बात है कि स्थानीय जनता को ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल कराने के लिए मजबूरन दूरस्थ शहर हल्द्वानी या रुद्रपुर जाना पड़ रहा है। यह न केवल असुविधाजनक है बल्कि गंभीर रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है।
बहरहाल संजय पांडे ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य प्रो. आशुतोष सयाना को इस मामले में अवगत कराया है तथा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (जिला क्रमांक CHML 0520258763544) पर शिकायत दर्ज करवाई है ।
‘मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं से श्री पाण्डे काफी दुखी हैं। पिछले कई सप्ताह से सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है, जिससे हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल रोग, कैंसर सहित अनेक गंभीर बीमारियों के मरीजों को अनेक मु्श्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
संजय पाण्डे ने सवाल उठाया है कि गर्भवती महिलाओं की अनावश्यक रेफरिंग: प्रशासन व मेडिकल कालेज प्रबन्धन की संवेदनहीनता की शर्मनाक मिसाल है।
बकौल संजय पाण्डे, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिलाओं को बार-बार हल्द्वानी रेफर किया जाना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का अपमान है, बल्कि यह सीधे तौर पर उनके जीवन के लिए गंभीर खतरे में डालने जैसा भी है।
* शर्मनाक यह भी है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की यहाँ आज तक नियुक्ति नहीं हो सकी है। सरकार और विभाग की यह नाकामी निन्दनीय है।
कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट, यूरो सर्जन जैसे आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति आज भी लंबित है।
हजारों रोगी बेसहारा और असुरक्षित हो गए हैं।
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में दवा वितरण काउंटर अत्यंत छोटा और अपर्याप्त है, जिससे मरीजों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। यह प्रणाली मरीजों की तकलीफ को दोगुना करती है ।
हाल ही में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री जब मेडिकल कॉलेज का दौरा करने आए थे, उस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि, मेडिकल प्रशासन और जिलाधिकारी मौजूद थे।
परंतु आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भी चिकित्सा व्यवस्था के गंभीर मुद्दों को मंत्री के समक्ष उठाना उचित नहीं समझा। यह खामोशी और मौन सीधे तौर पर जनता के प्रति अन्याय और प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
संजय पाण्डे ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि अविलम्ब तमाम समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो फिर क्षेत्रीय जनता उग्र आन्दोलन को विवश होगी ।

मदन मधुकर

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