“घर–घर गूंजे राम नाम, लालकुआँ में उतरी भक्ति की शाम” मातृशक्तियाँ निकलीं कथा-आमंत्रण यात्रा पर

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“भज राम नाम सुहावना, जागे भक्तिझर आज।
मयंक कथा को देखिए, उमड़ी मातृ समाज।”

लालकुआँ से विशेष आध्यात्मिक रिपोर्ट | रमाकान्त पन्त

लालकुआँ में 18 दिसंबर से आरम्भ होने जा रही श्रीरामकथा को लेकर पूरा नगर इस समय भक्ति और उत्साह की पावन लहरों में डूबा हुआ है। खासतौर पर मातृ शक्तियों में इस आयोजन को लेकर अद्भुत उमंग दिखाई दे रही है। कथा हालांकि 18 दिसम्बर से है पर पूरे क्षेत्र का वातावरण भजन, कीर्तन और आध्यात्मिक स्वर लहरियों से सराबोर है।

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मातृशक्तियाँ निकलीं कथा-आमंत्रण यात्रा पर

कथा की तैयारियों के अंतर्गत मातृशक्तियों की टोलियाँ घर घर जा कर “सीता–राम” के मधुर जयघोष के साथ भक्तों को आमंत्रित कर रही हैं।
ढोलक, मंजीरा और भजन-कीर्तन के साथ आगे बढ़ती इन टोलियों ने पूरे लालकुआँ में एक दिव्य उत्सव जैसा वातावरण निर्मित कर दिया है। महिलाओं के हाथों में निमंत्रण पत्र भक्तिमयी पदयात्राएँ, राम नाम की अखंड ध्वनि, और घर–घर सजता स्वागत इन सबने नगर में भक्ति का अद्भुत स्वरूप प्रस्तुत किया है। ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरा लालकुआँ प्रभु श्रीराम के स्वागत में सजधज कर तैयार होने जा रहा है 

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18 दिसंबर से शुरू होगा भक्ति का महापर्व

श्रीरामकथा के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि आसपास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आने की तैयारी में हैं। कथा के दौरान
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का आदर्श जीवन,
सीता माता की मर्यादा व करुणा,
भक्त हनुमान की अद्वितीय सेवा,और धर्म–नीति के दिव्य सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जाएगा। भक्तों का मानना है कि कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक उत्सव होती है।

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कुल मिलाकर मातृ शक्तियों की श्रद्धा, नगर का उमड़ता उत्साह और राम नाम की अखंड गूंज इन सबने लालकुआँ को इस समय एक जीवंत आध्यात्मिक धाम के रूप में बदल दिया है।
18 दिसंबर की प्रतीक्षा अब पूरे नगर के लिए प्रभु की दिव्य लीला का स्वागत बन चुकी है।
“जहाँ राम कथा की ध्वनि बहे, वहाँ उतरे हरि धाम।
भक्ति रंग में रंगा नगर, लालकुआँ बना अयोध्या ग्राम।”

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