हिंदी पत्रकारिता के 199 वर्ष और हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ‘डिजिटल मीडिया के दौर में हिंदी पत्रकारिता: एक चिंतन’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कई विषय विशेषज्ञ, पत्रकारिता के शोधार्थी, छात्र व पत्रकार चर्चा में शामिल हुए।
30 मई शुक्रवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस का आयोजन किया गया। हिंदी के पहले अखबार उदंत मार्तड की याद में इस दिवस को मनाया जाता है। दीप प्रज्ववलन व कुलगीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ड़ा. राकेश चन्द्र रयाल ने उदंत मार्तंड व पंडित जुगल किशोर शुक्ल के बारे में बताया और उस दौर की पत्रकारिता पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम को लेकर भारतीयों में जनचेतना का विकास करने से हुई। उन्होंने कहा की भारत में हिंदी पत्रकारिता राष्ट्रीयता को लेकर प्रारम्भ हुई। राजा राम मोहन राय, गणेश शंकर विद्यार्थी समेत हिंदी पत्रकारिता को खड़ा करने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है। आज पत्रकारिता नैरेटिव व एजेंडा सैटिंग में लगी है, उन्होंने हिंदी अखबारों में भाषाई विशुद्ता पर भी सवाल उठाए। प्रोफेसर रयाल ने कहा की मीडिया का सफ़र क्रांति से लेकर भ्रान्ति तक पहुंच चुका है। प्रॉपगेंडा एवं नरेटिव की पत्रकारिता का दौर चल रहा है, और डिजिटल मीडिया में ए. आई. के आने से इसमें बढ़ोतरी के खतरे ज्यादा बन गए हैँ, जिस पर नियंत्रण रखना आवश्यक हो गया है। आज मीडिया या तो पक्ष में है या विपक्ष में, जबकि मीडिया का धर्म निष्पक्ष का है।



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