पूर्व विधायक नवीन दुम्का की चाची थी मानवीय गुणों की अद्भत मिशाल
पानदेव दुम्का व शम्भू दत्त दुम्का की माताजी सदैव रहेगी स्मरणीय
हल्दूचौड़
हल्दूचौड़ बमेठा बंगर खीमा निवासी आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति गोविन्दी दुम्का अब इस नश्वर संसार में नहीं रही बीते छह अक्टूबर को उनका निधन हो गया था और आज 17 अक्टूबर को उनका पीपलपानी संस्कार सम्पन हो गया हजारों नम आखों ने उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की उनके निधन से समूचा क्षेत्र शोकाकुल है उनका संघर्षमय जीवन एक महान् आदर्श के रूप में प्रतिष्ठित है
लोक मंगलकारी कर्मो के प्रति सदैव चिन्तन शील रहने वाली निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर, जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली स्व० गोविन्दी दुम्का की मानवीय गुणों की अद्भत मिशाल थी
कर्म ही उनका महान् आर्दश था ,दया ही उनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल उनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि – भांति जानती थी, देवभूमि व यहां की पावन संस्कृति के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर उनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति स्व० श्रीमती गोविन्दी दुम्का सदैव स्मरणीय रहेगी
उनके निधन की सूचना से समूचा क्षेत्र शोक से व्याकुल हो उठा है, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी उनका आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी स्व० गोविन्दी दुम्का ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी, उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी।
पूर्व विधायक नवीन चन्द्र दुम्का की चाची व समाज सेवी पानदेव दुम्का व शम्भू दत्त दुम्का एवं स्व० श्री चन्द्रमणी जी की धर्म पत्नी गोविन्दी देवी का जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता उनकी जहां ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी, वही समाजसेवी के क्षेत्र में भी वह समर्पित रही। ,उनका जीवन मानवीय मूल्यों के रक्षा हेतु अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। गरीबों के दुख दर्द में सदा ही सहायक रहने वाली ममता की यह मूर्ति सदा ही स्मरणीय रहेगी उनकी पावन यादें सदा ही हम सब का मार्ग दर्शन करते रहेगी
जीवन के 80 बसंत पार कर चुकी अपनी चाची गोविन्दी देवी दुम्का की याद में भावुक होकर पूर्व विधायक नवीन चन्द्र दुम्का कहते है कि बचपन से एक माता के रूप में चाची का जो स्नेह समस्त परिजनों के प्रति रहा वे अतुलनीय है अतीत की गहरी यादों का स्मरण करते हुए श्री दुम्का ने भावुक होकर बताया उनके पिता स्व० श्री अम्बा दत्त चार भाई थे जिनमें स्व० श्री चन्द्रमणी दुम्का स्व० श्री धर्मानन्द दुम्का स्व० श्री लालमणी दुम्का थे समस्त कुटुम्बी जनों में पूर्व की भांति आज भी आपार स्नेह है इस स्नेह को यथावत सजाने व संवारने में उनकी चाची की अहम् भूमिका रही है मूल रूप से रामगढ़ के डोल गाँव निवासी स्व० देवी दत्त दुम्का के पुत्र स्व० श्री जय दत्त दुम्का की शाखा के जुड़े
दुम्का परिजनों के पूर्वज धर्म कर्म के प्रति गहरे आस्थावान रहे है इनके पूर्वज देवी दत्त महान् शिव भक्तों में एक थे जिन्होंनें अपनी धर्म पत्नी के साथ पशुपति यात्रा के दौरान पशुपति नाथ में जाकर अपना देह छोड़ा तब की यात्रा आज की भांति बेहद जटिल थी यात्री पैदल तीर्थ यात्रा करते थे आने जाने में कई कई दिन लग जाते थे इसी कारण उनका अन्तिम संस्कार व अन्तिम क्रिया पशुपति नाथ क्षेत्र में ही भगवान शिव के सानिध्य में सम्पन हुई
कुल मिलाकर स्व० श्रीमती गोविंदी दुम्का अपने पूर्वजों के पद चिन्हों की एक आदर्श थी उनका निधन मानवीय जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है











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