इस बार 14 दिन का होगा पितृ पक्ष

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हल्द्वानी।
सामान्यतः पितृपक्ष की अवधि 16 दिन की होती है, परन्तु ज्योतिषीय गणना में तिथियों की घटा-बढ़ी के चलते इस बार पितृपक्ष की अवधि 14 दिन की बताई जा रही है।
यह सर्व विदित है कि पितरों का श्राद्ध तर्पण श्रद्धा व निष्ठा के साथ करना सनातन की अनूठी व विज्ञान सम्मत परम्परा है।
सनातन मान्यतानुसार भाद्र मास में श्रद्धापूर्वक पितरों का तर्पण करने से परिवार को पितरों के आशीर्वाद से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वैसे तो पितृपक्ष 16 दिन का होता है, लेकिन इस बार तिथियों की घटा-बढी के कारण पितृ पक्ष 14 दिन में समाप्त हो जायेगा।
इस वर्ष पितृपक्ष के दौरान दो ग्रहण होना, ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय की मानें तो पितृपक्ष 7 सितंबर से लेकर 21 सितम्बर तक रहेगा। 7 सितम्बर को पूर्णिमा का श्राद्ध 12 बजकर 57 मिनट से पूर्व सम्पन्न करना होगा, क्योंकि चंद्रग्रहण के कारण 12 बजकर 58 मिनट से सूतक काल आरम्भ हो जायेगा, जो रात्रि 1:26 तक विद्यमान रहेगा। इसी के साथ जो पूर्णिमा का व्रत रखकर चंद्र की पूजा करते है,

वो चंद्र की पूजा केवल जल और फल से कर अगले दिन स्नान कर व्रत पूर्ण करने के बाद ही भोजन ग्रहण कर सकेंगे।सोमवार 08 सितम्बर प्रतिपदा को पहला श्राद्ध होगा, जबकि 10 सितम्बर को तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन पड़ रहा है, जिस कारण श्राद्ध पक्ष का एक दिन कम हो रहा है। 21 सितम्बर को सर्वपितृ आमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात तिथि वाले पितरों का तर्पण श्रद्धापूर्वक होगा। इस दिन सूर्य ग्रहण होने के बावजूद श्राद्ध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,

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क्योंकि सूर्य ग्रहण भारत में अदृश्य होगा।उन्होंने अवगत कराया है कि 07 सितंबर को पूर्णिमासी का श्राद्ध, 08 सितम्बर को प्रतिपदा, 09 सितम्बर द्वितीया,10 को तृतीया एवं चतुर्थी एक साथ पड़ेंगे 11 सितम्बर को पंचमी, 12 सितंबर को षष्ठी, 13 सितम्बर को सप्तमी, 14 सितम्बर को अष्टमी, 15 सितम्बर को नवमी, 16 सितम्बर को दशमी, 17 सितंबर एकादशी,18 सितंबर द्वादशी, 19 सितम्बर त्रयोदशी, 20 सितम्बर चतुर्दशी और 21 सितम्बर सर्वपितृ अमावस्या है।