यादों की महक में अद्भूत सौगात बनकर सदा लोगों के दिलों में जीवित रहेगें:स्व० काण्डपाल
माँ भद्रकाली के प्रति थी अटूट श्रद्वा 95 वर्ष की उम्र में किया दिव्य लोक को प्रस्थान पीपलपानी संस्कार 18 दिसम्बर को
शांतिपुरी (ऊधम सिंह नगर)
कुछ लोगों का जीवन समाज के लिए महान् आर्दश बनकर चिरकाल तक स्मरणीय रहता है। आर्दश भरे स्मरण की अलौकिक आभा के साथ माँ भद्रकाली के भक्त पूर्व सुबेदार शान्तिपुरी नम्बर एक निवासी देवी दत्त काण्डपाल जी की धर्म के प्रति अचल निष्ठ़ा सदैव स्मरणीय रहेगी
बीते सात दिसम्बर को उनका निधन हो गया है 95 वर्ष की अवस्था तक उनका अनुशासनमय जीवन आदर्श का प्रतीक है उनकी सादगीं,सच्चाई,सरलता व कर्तव्यनिष्ठ़ा से समूचा क्षेत्रं परिचित है। संसार के रंग में अपने सत्य धर्म का सादगी के साथ उन्होंने जिस निष्ठा के साथ पालन किया वह वास्तव में अनुकरणीय है। इस मायावी संसार को छोड़कर एक दिन सभी को जाना पड़ता है,दुनियां में सदा रहने के लिए यूं तो कोई नही आता मगर किसी का जाना व्याकुल भरी यादें दे जाती है। यादों की महक के ऐसे ही अनमोल धरोहर है।स्व०श्री देवीदत्त काण्डपाल जी* जो निर्मल भावनाओं के पावन स्वरुप के रुप में सदा याद आते रहेगें इनका स्मरण कर्म पथ के योगियों में ऊर्जा का नया संचार करेगा। उनका निर्मल, निष्ठामय, कर्तव्यमय, सादगी भरा जीवन, सदा लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा क्षमा, व दया की प्रतिमूर्ति, मर्यादा के महान् रक्षक, , एक आत्मनिष्ठ कर्म योगी की जितनी भी उपमाएं है वे सब उनमें झलकती थी, स्व० श्री देवी दत्त काण्डपाल हालाकि शशरीर हमारे बीच नही है।लेकिन उनसे जुड़ी यादें सदा ही हम सबका मार्ग दर्शन करते रहेगी ।
उनके निधन पर अनेको राजनीतिज्ञों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं आध्यात्मिक जगत से जुड़ी विभूतियों ने शोक व्यक्त कर दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करते हुए अपने श्रद्वासुमन अर्पित कर आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थनाएँ की है।वे अपने पिछे भरा पूरा परिवार छोड़ गये है आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि भांति जानते थे ,देवभूमि व यहां के तीर्थ स्थलों के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर जिनका पर्दापण देव कार्यो में होता रहता था वो सरल हदय अनुशासन प्रिय कर्तव्य की साक्षात् मूर्ति स्व० श्री काण्डपाल जी के निधन की सूचना से समूचा क्षेत्र शोक से व्याकुल हो उठा है यहां के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी उनका आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हदय की विराटता को झलकाता था उन्होने अपनी जीवन यात्रा साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया अभावग्रस्त लोगों के बीच जाकर उनके दुख दर्दो से रूबरू होने वाले काण्डपाल जी सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थे। उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता का कोई जबाब नही था। उनका जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता
मूल रूप से हवन तोली सनि उडियार जनपद बागेश्वर के निवासी स्व० श्री देवी दत्त काण्डपाल जी का माँ भद्रकाली दरबार कमस्यार घाटी के प्रति गहरा लगाव था। तथा क्षेत्र के अन्य धार्मिक स्थलो व शक्तिपीठों के प्रति भी उनकी अटूट आस्था थी उनका निधन अध्यात्मिक व सामाजिक जगत में अपूर्णीय क्षति है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यो को हमेशा याद किया जाएगा। वे एक अनुकरणीय व्यक्तित्व के साथ – साथ विनम्रता और धैर्य की आदर्श मिशाल थे एवं उनके हृदय में सभी के लिए अथाह प्रेम और सहयोग की भावना थी उनके निधन से जो अपूरर्णीय क्षति हुयी है उसकी भरपाई कभी नही हो सकती है। जीवन एक संघर्ष है इससे भी बड़ा सत्य यह है कि जीवन एक ऐसा उधार है जिसे हर इंसान को वापस करना है। अवतारी पुरुष हो अथवा सामान्य मानव या अन्य कोई, सभी को एक न एक दिन इस संसार को छोड़कर जाना पड़ता है क्योंकि संसार परिवर्तनशील व आत्मा अमर है। जीना का उसी का सार्थक है जो दूसरों के हित के लिए जीता है। अपने लिए जीना कर्मभोग और दूसरों के लिए जीना कर्मयोग है। कर्मयोग ही जीवन की सार्थकता है। कर्मों में कुशलता ही योग है। कर्मयोगी के महान उदाहरण के रूप में अपना जीवन अर्पित करने वाले स्व० श्री देवी दत्त काण्डपाल जी सदैव पूज्यनीय रहेगें
उनके पुत्र भुवन चंद्र कांडपाल क्षेत्र के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं तथा वह पूर्व में सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल में कार्यरत थे इस नाते सेंचुरी परिवार से भी उनका गहरा रिश्ता है वर्कर्स यूनियन के महामन्त्री कैलाश चौसाली ने भी आज उनके आवास पर पहुंचकर अपनें श्रद्धा सुमन अर्पित किये
स्व० श्री देवी दत्त काण्डपाल के पौत्र शुभम् व भतीजा धर्मेन्द्र के अलावा
भाई मथुरा दत्त काण्डपाल केशव दत्त हीरा बल्लभ सभी सामाजिक सरोकारों के प्रति काफी सजग रहते है
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