गंगा दशहरा पर्व : काशी में गंगा तटों पर भक्तों का जमवाड़ा, हर हर महादेव व हर हर गंगे की धुन से गुंजायमान है वाराणसी

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गंगा दशहरा के पावन अवसर पर आज बाबा विश्वनाथ जी की नगरी काशी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है चारों ओर का नजारा बेहद अद्भुत है हर हर गंगे व हर हर महादेव के उद्घोष से समूची वाराणसी गुंजायमान है

गंगा दशहरा के अवसर पर काशी के गंगा तट पर स्नान का बड़ा ही महत्व बताया गया है कूर्म पुराण में भगवान वेद व्यास जी ने मुनियों को वाराणसी का महत्व विस्तार के साथ बतलाया है। स्वयं व्यास जी ने अपनें परम शिष्य महामुनि जैमिनी को बताया कि प्राचीन काल में मेरु शिखर पर भगवान शंकर के साथ एक ही आसन पर स्थित महादेवी पार्वती ने त्रिपुरारी देव ईशान महादेव से कहा आप भक्तों के कष्टों को दूर करने वाले हैं। कृपया भक्तों के उद्वार का ऐसा उपाय बताइये जो परम गुप्त एवं परम श्रेष्ठ हो

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महादेव ने कहा महादेवी वाराणसी मेरा परम गुप्त एवं श्रेष्ठ क्षेत्र है ,यह नगरी समस्त प्राणियों को संसार सागर से पार उतारने वाली है महादेवी यहां मेरे व्रत को धारण करने वाले भक्त तथा श्रेष्ठ नियम का आश्रय करने वाले महात्मा निवास करते हैं ।यह मेरा अविमुक्त काशी क्षेत्र सभी तीर्थों में उत्तम सभी स्थानों में श्रेष्ठ है। और सभी ज्ञानों में उत्तम ज्ञान रूप है। महाश्मशान भूमि काशी में मरण परम मुक्ति का केन्द्र है। मैं काल रूप होकर यहां इस संसार का संहार करता हूं तथा यह पावन स्थान सभी गुप्त स्थान में मेरा सर्वाधिक प्रिय स्थान है मेरे भक्त यहां आते ही मुझ में प्रविष्ट हो जाते हैं

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महादेवी प्रयाग, पुण्यदायी नैमिषारण्य, महालय श्रीशैल, केदार, भद्रकर्ण, गया, पुष्कर, कुरुक्षेत्र, रुद्रकोटि, नर्मदा, आम्रातकेश्वर, शालिग्राम, कुब्जाम्र, श्रेष्ठ कोकामुख, प्रभास, विजयेशान, गोकर्ण तथा भद्रकर्ण-ये सभी पवित्र तीर्थ तीनों लोकों में विख्यात हैं, किंतु जिस प्रकार वाराणसी में मरे हुए व्यक्तियों को परम मोक्ष प्राप्त होता है, वैसा अन्यत्र प्राप्त नहीं होता*

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वाराणसी में प्रविष्ट त्रिपथगामिनी (स्वर्ग, पाताल एवं भूलोल इस प्रकार तीन पथों में प्रवाहित होनेवाली) गङ्गा सैकड़ों जन्मों में किये हुए पापों को नष्ट करने में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। दूसरे स्थान में योग, ज्ञान, संन्यास अथवा अन्य उपायों से हजारों जन्मों में जो परम पद मोक्ष प्राप्त होता है, किंतु देवदेवेश शंकर के जो भक्त वाराणसी में निवास करते हैं, वे एक ही जन्म में परम पद-मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं

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