जानेमाने फिल्म कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी फिल्म एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा ने जहीर इकबाल से शादी की।
सोनाक्षी सिन्हा के माता-पिता पूनम सिन्हा एवं शत्रुघ्न सिन्हा इनके प्रेम प्रसंग के बारे में जानते थे। पिता शत्रुघ्न सिन्हा एवं सोनाक्षी के भाई लव और कुश इनकी शादी के खिलाफ़ थे। इस शादी में दोनों भाई लव एवं कुश शामिल नहीं हुए। यहां पर भी सोनाक्षी सिन्हा के त्रिया हठ ( स्त्री हठ) ने काम किया और माता पिता एवं भाइयों की मर्जी के विरुद्ध सोनाक्षी ने शादी कर ली।
मेरे एक मित्र ने बताया कि ऐसे मामलों में अधिकतर लड़के माता -पिता के कहने पर शादी न करने के लिए मान जाते हैं पर लकड़ियां ही अपनी जिद्द पर अड़ जाती हैं कि मैं शादी इसी लड़के से करूंगी। यही पर स्त्री हठ काम कर जाता है।
वृन्दावन के एक प्रसिद्ध कथा वाचक ने कहा है कि जो पुत्री अपने माता- पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करती है उसका जीवन सुखमय नहीं रहता है क्योंकि माता-पिता का आशीर्वाद उसे दिल से नहीं मिलता है ।
आप सभी जानते हैं कि रामायण में केकैयी के हठ के कारण भगवान राम को अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के लिए जंगलों में भटकना पड़ा। वहाँ उन सबको अगणित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सबसे बढ़कर राजा दशरथ की मृत्यु हो गई और भरत ने राजगद्दी पर बैठने से इन्कार कर दिया।
यदि माता सीता स्वर्ण मृग (सोने का हिरण) लाने की जिद भगवान राम से न करतीं तो रावण उनका अपहरण न कर पाता। उस स्थिति में शायद रामायण का युद्ध न होता।
इसी तरह द्रौपदी यदि अपने हठ और अहंकार का प्रदर्शन न करती तो शायद महाभारत का विनाशकारी युद्ध टल जाता जो इतने सारे विद्वानों और योद्धाओं को लील गया।
इस तरह की घटनाएं इतिहास के पन्नों में काली कहानियों के रूप में दर्ज हो चुकी हैं। उनको पढ़कर मन पीड़ित होता है। विश्व में हुई अनेक घटनाएँ इस बात की गवाह हैं कि त्रिया हठ से किसी का भला नहीं होता।
घर-परिवार को सम्हालने वाली स्त्री होती है। पुरुष के बूते की बात नहीं कि वह घर को सुचारू रूप से चला सके। यदि वही हठ करके बैठ जाए तो वह घर घर नहीं रहता श्मशान की तरह हो जाता है। वहाँ कुछ भी शुभ नहीं होता। वहाँ पर दिन-प्रतिदिन कुव्यवस्था का साम्राज्य होता जाता है। घर के सभी लोग अपनी मनमानी करने लगते हैं। घर बरबाद हो जाता है।
माता पिता के इच्छा के विरुद्ध जिन बेटियों ने अपने हठ के कारण शादी की या जो भी कार्य किए इससे इन हठीली बेटियों का जीवन दुःखमय ही बीता है ऐसे आपके आसपास साक्षात अनेक उदहारण मिल जाएंगे।
माता-पिता को धरती पर भगवान माना गया है चाहे वे अच्छे हो या बुरे धरा पर लाने वाले तो वे ही है। स्त्री का हठ हमेशा से घर-परिवार के लिए विनाशकारी ही सिद्ध हुआ है।
हठ करने वाली मां, सास, बहू , बहन, बेटी आदि कोई भी हो ये सभी स्त्री ही तो हैं। इनके हठ से बसा बसाया घर उजड़ जाता है।
ऐसी स्त्रियों की ससुराल में तो क्या अपने मायके में भी नहीं बनती। उनके इस स्वभाव के कारण वहाँ भी उन्हें कोई पसन्द नहीं करता। उनकी सखी-सहेलियाँ भी न के बराबर ही होती हैं। यदि घर-परिवार को बचाना है तो स्त्री को अपने हठ को त्यागना ही होगाl
(पूरन चंद शर्मा-विनायक फीचर्स)



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