सतचण्डी महायज्ञ के आचार्यों ने शॉल ओढ़ाकर किया उत्तराखण्ड टॉपर कंचन को सम्मानित ,आचार्यगणों का आशीर्वाद पा कर कचन हुई भावुक माँ खष्टी जोशी ने जताया सभी विद्वानों का आभार
हल्द्वानी ( नैनीताल), नगर के चीनपुर – कुसुमखेड़ा स्थित मॉ भगवती दुर्गा मन्दिर में चल रहे चार दिवसीय सतचण्डी महायज के आचार्यगणों ने आज उत्तराखण्ड बोर्ड की 12वीं परीक्षा में टॉप रेंक हासिल करने वाली छात्रा कंचन जोशी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और शुभ कामनाओं के साथ कंचन के उज्जवल के लिए भगवती चण्डिका से प्रार्थना भी की। विद्वान आचार्यगणों का आशीर्वाद मिलने पर जहाँ कंचन अत्यधिक गद्गद हो उठी वहीं कुछ क्षण के लिए भावुक भी हो उठी । इस अवसर पर उपस्थित कंचन की माँ श्रीमती खष्टी जोशी ने विनम्र भाव से सभी आचार्यों का आभार व्यक्त करते हुए स्वयम् को धन्य बताया ।
होनहार व प्रतिभाशाली छात्रा कचन से जब पूछा गया कि इतनी बड़ी उपलब्धि का श्रेय वह किसे देती हैं, इस पर कंचन ने कहा सबसे पहला श्रेय तो माता पिता के आशीर्वाद, मार्गदर्शन व सकारात्मक सोच को ही जाता है, तत्पश्चात गुरुजनों के परिश्रम व लगातार प्रोत्साहन के कारण ही यह लक्ष्य सम्भव हो पाया । आगे कहा कि भगवती दुर्गा की असीम कृपा के चलते ही उसको सभी मित्रों, परिजनों, गुरुजनों, विद्वतजनों तथा बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ, यह उपलब्धि उसी का प्रतिफल है।
आगे बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के लिए संदेश के बाबत पूछे जाने पर कंचन ने कहा कि जीवन में नियमित पढ़ाई व अन्य क्रिया कलापों में उचित सन्तुलन बनाना अत्यन्त आवश्यक है । कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई और खेलकूद व मनोरंजन इन सबमें सन्तुलन बिठाये वगैर इच्छित लक्ष्य की सिद्धि कठिन है। किसी भी तनाव – दबाव आदि से मुक्त रहने के लिए सभी गतिविधियो में सकारात्मक सन्तुलन अत्यावश्यक है।
यहाँ बताते चलें कि सतचण्डी महायज सह वार्षिकोत्सव के तीसरे दिवस सन्ध्याकाल में आरती सम्पन्न करने बाद स्वामी मोहनाचार्य के साथ मुख्य आचार्य डॉ भुवन चन्द्र त्रिपाठी व 18 अन्य विद्वान आचार्य कंचन जोशी के घर पहुंचे और प्रसाद प्रदान कर कंचन का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। मुख्य आचार्य डॉ भुवन चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि कंचन ने अपनी लगन व मेहनत से माता पिता व गुरुजनो के साथ ही हल्हानी नगर तथा देवभूमि उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है ।
उन्होंने कहा सभी छात्र छात्राओ को कंचन से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य पर चलना चाहिए और विषम से विषम परिस्थितियों में भी धैर्यपूर्वक पढ़ाई करनी चाहिए।
इस मौके पर मुख्य आचार्य श्री त्रिपाठी के अलावा आचार्य रमेश कपिल, आचार्य उमेश जोशी, आचार्य रविशंकर बेलवाल, आचार्य कैलाश लोहनी, आचार्य बसन्त त्रिपाठी, आचार्य ललित जोशी, आचार्य दीपक नौटियाल, आचार्य हरीश भट्ट, आचार्य भुवन बेलवाल, आचार्य चन्द्र बल्लभ बेलवाल, आचार्य देवकी पाण्डे, आचार्य खष्टा बल्लभ, आचार्य विनोद पन्त, आचार्य नवीन जोशी, आचार्य नानू लोहनी, आचार्य मनोज काण्डपाल, आचार्य उमेश त्रिपाठी तथा आचार्य गणेश चन्द्र पन्त समेत अनेक श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित थे।
मदन जलाल* मधुकर*
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