पूर्णिमां के अवसर पर यहाँ हुआ माई पीताम्बरी का महायज्ञ

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पूर्णिमां के अवसर पर सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने राप्ती नदी के पावन तट पर राष्ट्र की सुख समृद्धि एवं मंगल कामना को लेकर माँ पीताम्बरी का यज्ञ किया

 

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का बहुत ही विशेष महत्व होता है। पूर्णिमां के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म सफल होता है। उन्होंने बताया पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और व्रत के रात्रि काल के समय में माँ पीताम्बरी का हवन करनें से समस्त मनोरथ पूर्ण होते है और माई पीताम्बरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
यहां यह बताते चलें कि राप्ती नदी का आध्यात्मिक महत्व बड़ा ही अद्भुत और निराला है प्रसिद्ध साधु-संतों की यह प्राचीन साधना स्थली रही है इसी नदी के तट पर अनेक महान संतों ने अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित करके विभिन्न देवी-देवताओं से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की इस नदी का प्राचीन नाम इरावती नदी कहा जाता है
धर्म व संस्कृति जगत में यह नदी धर्म व आध्यात्म का महासंगम मानी जाती है। बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर ज़िलों में बहती हुई बरहज के निकट यह लगभग 640 किमी० लम्बी है जो पावन नदी घाघरा नदी से मिल जाती है इस नदी की गाथा भगवान बुद्ध से भी जुड़ी हुई है पतित को पावन करने वाली निर्मल राप्ती नदी का वर्णन अनेक स्थानों पर आता है कहा जाता है कि इस नदी के तट पर माँ भगवती की आराधना करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं इतना ही नहीं कहा तो यहां तक गया है कि इस नदी के पावन तट पर हवन व यज्ञ करने से मनुष्य अपने जन्म जन्मांतर पापों से छुटकारा पा जाता है
पूर्णिमां के अवसर पर इस नदी के तट पर सत्य साधक जी ने हवन यज्ञ कर देश व प्रदेश एवं मानवता की सुख समृद्धि व मंगल की कामना की

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