कुचौली / बागेश्वर/ कमस्यार घाटी में स्थित माँ भद्रकाली मंदिर के प्रति कुचौली गाँव के निवासी स्व० श्री पूरन चन्द्र पन्त की गहरी आस्था थी बात- बात पर माँ भद्रकाली का जिक्र उनके शब्दों की शोभा थी हालांकि मंदिर के आचार्य के रूप में उनकी प्रतिष्ठा दूर- दूर तक थी लेकिन इन सबसे उनका कोई लेना देना नहीं था उनके हृदय में केवल माँ भद्रकाली ही बसती थी उनका सहज निर्मल व निश्छल अंदाज भद्रकाली भक्तों के लिए एक आदर्श था पूरी तरह माँ के विधान पर निर्भर रहना ही उनका स्वभाव था
आज माँ भद्रकाली जयंती है ऐसे पावन पल में माँ के भक्तों की भूली बिसरी यादें ही धरोहर है अपना समूचा जीवन माँ भद्रकाली के चरणों को समर्पित कर कुचौली ग्राम बागेश्वर के निवासी स्व० श्री पूरन चन्द्र पंत आजीवन माँ भद्रकाली को समर्पित रहे।
वे कहा करते थे जो भी प्राणी भगवती भद्रकाली के चरणों में अपने आराधना के श्रद्वापुष्प अर्पित करता है।उसके समस्त मनोरथों को माँ पूर्ण करती है।इस दरबार में शीश नवाने के पश्चात् कुछ भी मागनें की जरूरत नही रहती है।माँ का वास समस्त प्राणियों के अंतस में है।वे घट घट वासिनी है।सबके मनोरथों को भलि भाति जानती है।यदि माँ से कुछ मांगना है।तो उसकी कृपा मांगनी चाहिए यदि भक्त पर माँ की कृपा हो जाए तो फिर कुछ भी पानें की आवश्यकता शेष नही रहती है।श्री पंत कहते थे ।माँ को जहां याद करो वो माँ वंहा विराजमान है ,
उनका यह भी कथन था हिमालय की गोद में बसा उतराखण्ड़ वास्तव में प्रकृत्ति की अमूल्य धरोहर है।यहां पहुंचने पर वास्तव में आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है।भद्रकाली गांव में रचा-बसा प्राचीन भद्रकाली का प्रसिद्ध मदिरं माँ जगदम्बा का अपने भक्तों के लिए दिव्य उपहार है।
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