सरस्वती वन्दना

ख़बर शेयर करें

 

कविता

शुभवस्त्रे हंस वाहिनी वीणा वादिनी शारदे ,
डूबते संसार को अवलंब दे आधार दे !

हो रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वार्थ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना

आत्म वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है,
चेतना जग की जगा मां वीणा की झंकार दे !

यह भी पढ़ें 👉  कहानी *एंकर*

सुविकसित विज्ञान ने तो की सुखों की सर्जना
बंद हो पाई न अब भी पर बमों की गर्जना

रक्त रंजित धरा पर फैला धुआं और औ” ध्वंस है
बचा मृग मारीचिका से , मनुज को माँ प्यार दे

यह भी पढ़ें 👉  वरिष्ठ महामण्डलेश्वर सोमेश्वर यति महाराज के सानिध्य में कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत को सप्रेम भेंट की गयी " जय माँ बगलामुखी " पुस्तक + गायत्री एअरकॉन प्रा० लि के नये शोरूम के उद्‌घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे थे श्री भगत + पुस्तक का अवलोकन करते हुए बोले, लेखक का सराहनीय प्रयास है

ज्ञान तो बिखरा बहुत पर , समझ ओछी हो गई
बुद्धि के जंजाल में दब प्रीति मन की खो गई

उठा है तूफान भारी , तर्क पारावार में
भाव की माँ हंसग्रीवी , नाव को पतवार दे

यह भी पढ़ें 👉  रामनाम की प्रेरणा देने वाला ही महावीर: सतीश लोहनी, हल्दूचौड़ में श्री रामकथा में उमड़ा श्रद्धा का उल्लास

चाहता हर आदमी अब पहुंचना उस गाँव में
जी सके जीवन जहाँ , ठंडी हवा की छांव में

थक गया चल विश्व , झुलसाती तपन की धूप में
हृदय को माँ ! पूर्णिमा सा मधु भरा संसार दे।(विनायक फीचर्स)

Ad