नैनीताल में श्रीमद् देवी भागवत कथा 27 मई से , प्रसिद्ध कथा वाचक बाल व्यास कपिल देव मधुर वाणी से करेंगे कथा का वाचन

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नैनीताल/ श्री माँ नयना देवी मंदिर स्थापना दिवस के अवसर पर नैनीताल में 27 मई से नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन होनें जा रहा है कथा का विश्राम चार जून को होगा कथा आयोजन को लेकर श्री माँ नयना देवी मन्दिर अमर उदय ट्रस्ट नैनीताल द्वारा जोरदार तैयारियां की जा रही है समूचे क्षेत्र में कथा को लेकर विशेष आध्यात्मिक उल्लास छाया हुआ है यहाँ कथा का वाचन उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कथा वाचक बाल व्यास कपिल देव महाराज जी अपनी सुधामय वाणी की धार से करेंगें
एक मुलाकात में प्रसिद्ध कथा वाचक बाल व्यास कपिल देव ने कहा कि इस कलिकाल में श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण करना और कराना बहुत फलकारी होता है उन्होनें देवी की महिमां पर विशेष रुप से प्रकाश डालते हुए कहा माँ जगदम्बा की कृपा से ही समस्त जगत की क्रियायें संचालित हो रही है
देवी माँ से अपने, देश व समाज के कल्याण की कामना करनी चाहिये। कथा श्रवण के दिनों में संयम, अनुशासन, पवित्रता का पालन करना चाहिये और देवी माँ से प्रार्थना करनी चाहिये कि वे आगे भी जीवन में इनका पालन करने की शक्ति दे।

उन्होंने आगे कहा कि बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन प्राप्त होता है अत: इसका अधिक से अधिक सद्पयोग करना चाहिये व पुण्य कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहिये। उन्होनें कहा माता, पिता और संतों की सेवा करने और आशीर्वाद लेने से आयु में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है
श्री व्यास जी ने कहा देवी के पावन चरित्रों से बढ़कर कुछ भी नही है।श्रीमद्देवी भागवत नामक पुराण से बढ़कर कोई पुराण नहीं है। भागवत कथा पढऩे व सुनने से कोई भी पदार्थ दुर्लभ नहीं रह सकता है। इनकी कृपा से सभी कष्टों का निवारण शीघ्र हो जाता है।

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उन्होंने आगे कहा कि जो मनुष्य परम अमृत स्वरुप इस कथा को पढ़ता व सुनता है। संसार में भगवती की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं
मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका वर्णन कई ग्रंथों और शास्त्रों में पाया जाता है। इन बातों को समझ कर, उनका पालन करने पर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। आस्तिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है।
एक प्रश्न के उत्तर में यज्ञ व दान का महत्व समझाते हुए उन्होने कहा दान करने से पुण्य मिलता है। दान करने पर ग्रहों के दोषों का भी नाश होता है। कई बार मनुष्य को उसकी ग्रह दशाओं की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दान देकर या अन्य पुण्य कर्म करके ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए सुखी जीवन और हमेशा भगवान की कृपा अपने परिवार पर बनाए रखने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए
उन्होने कहा शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्यन और श्रवण करना चाहिए।
उन्होने कहा अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल भगवान का नाम जपने से ही दूर किया जा सकता है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा से भगवान का नाम जपता हो, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। भगवान का भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की भी प्राप्ति होती है

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उन्होंने बताया कथा के दौरान नित्य पूजन अभिषेक कार्यक्रम 8 बजे से 11 बजे तक होगा दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक कथा होगी विश्राम दिवस के अवसर पर 4 जून को ब्रह्म मुहूर्त में माँ नयना देवी की पूजा प्रातः 7 बजे कुल पूजा देव पूजन पूर्णाहूति कार्यक्रम 11 बजे से 12 बजे तक 12 से 1 बजे तक व्यास पूजन कथा कन्या पूजन ब्रह्ममण पूजन कार्यक्रम के बाद दोपहर 1 बजे से विशाल भण्डारे का आयोजन होगा और सांयकाल भजन संध्या आयोजित होगा

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