डीएफओ से बागजाला में दिए नोटिस रद्द करने और विकास कार्यों पर रोक हटाने की मांग • डीएफओ तराई पूर्वी से मिला किसान महासभा का प्रतिनिधिमंडल

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हल्द्वानी

• डीएफओ से बागजाला में दिए नोटिस रद्द करने और विकास कार्यों पर रोक हटाने की मांग
• डीएफओ तराई पूर्वी से मिला किसान महासभा का प्रतिनिधिमंडल

अखिल भारतीय किसान महासभा का प्रतिनिधिमंडल प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ), तराई पूर्वी वन प्रभाग से उनके हल्द्वानी स्थित कार्यालय पर मिला। उनसे बागजाला की समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता की गई और एक मांगपत्र सौंपा गया। उन्होंने सड़क और पेयजल योजना पर यथासंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

ज्ञापन में कहा गया कि, बागजाला में बसासत आजादी के पूर्व से है जिसमें खेती किसानी पशुपालन और छोटे मोटे काम करने वाली ग्रामीण आबादी निवास करती है। जिनको पूर्व में उप्र सरकार द्वारा भूमि का पट्टा दिया गया था। लेकिन विगत कुछ सालों से बागजाला के निवासियों को उजाड़ने की कोशिश की जा रही है। पहले वन विभाग द्वारा नए निर्माण पर रोक लगा दी गयी, उसके बाद विधायक निधि से निर्माणाधीन सरकारी सीसी मार्ग वन विभाग द्वारा तोड़ डाला गया और भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत ‘हर घर नल, हर घर जल योजना’ का काम भी पाइप लाइन उखाड़कर ठप्प करा दिया गया। जिससे बागजाला में विकास बाधित हो गया है।

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किसान महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने डीएफओ के सम्मुख सवाल उठाया कि, जब वन विभाग ने गांव से जंगल की ओर लगती अपनी जमीन पर पहले खाई खोदी और फिर पक्की बाउंड्री भी कर दी गई है तब वन विभाग क्यों आबादी वाले क्षेत्र पर नोटिस दे रहा है?

भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, जिस जमीन पर दशकों पूर्व से गरीब लोग बस चुके हैं, जिनको उप्र सरकार द्वारा पट्टे भी दिए गए थे, उन जमीनों को पक्का करके लोगों को मालिकाना दिया जाना चाहिए था, लेकिन आज बागजाला के निवासियों को अतिक्रमणकारी घोषित करने की कुचेष्टा की जा रही है जो कि बिल्कुल गलत है। बागजाला में लोगों ने कोई अतिक्रमण नहीं किया बल्कि तत्कालीन उप्र सरकार द्वारा 1978 में भूमि के पट्टे देकर उन्हें बसाया गया था। जिन पट्टों का नवीनीकरण यह कहकर नहीं किया गया कि आपके गांव का राजस्व गांव बनाने का प्रस्ताव लंबित है अतः पट्टे नवीनीकरण कराने का कोई औचित्य नहीं है। इसका बकायदा सरकारी सर्वे भी किया गया और फिर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में बागजाला के निवासी सरकारी ठगी का शिकार हुए हैं, जिनके पट्टों का नवीनीकरण भी नहीं हुआ और न ही राजस्व गांव मिला। यह सरकार द्वारा किया गया खुला अन्याय है।

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डीएफओ से मांग की गई:
1- वन विभाग द्वारा बागजाला में किसी भी परिवार को नोेटिस देने की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। बागजाला वासियों दिए गए सभी नोटिस रद्द किए जाएं।
2- वन विभाग द्वारा बागजाला में विकास कार्यों और भवन निर्माण कार्य पर लगाई गई रोक को खत्म किया जाए और निर्माण कार्य की अनुमति दी जाए।
3- जनता की जल समस्या का समाधान करने के लिए रोकी गई हर घर नल योजना का कार्य तत्काल शुरू किया जा सके, इस हेतु वन विभाग द्वारा लगाई गई रोक हटाई जाए।
4- वन विभाग द्वारा तोड़ी गई सीसी रोड का काम पुनः शुरू किया जा सके इसके लिए वन विभाग रोक हटाए।
5- बागजाला के निवासियों को स्थाई रूप से निवास की अनुमति देते हुए जो जहां पर है उसे वहीं पर रहने का अधिकार दिया जाए। इसके लिए वन विभाग राज्य सरकार को अपनी ओर से अनापत्ति प्रस्ताव भेजे।

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प्रतिनिधिमंडल में भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, किसान महासभा संयोजक उर्मिला रैस्वाल, वेद प्रकाश, पंकज चौहान, कुंवर राम, चन्दन सिंह मटियाली, मुन्ना, भगवती गोस्वामी, चंदन राम, भावना, नंद किशोर, इमरान, इस्लाम, लक्ष्मी, मोहन आदि शामिल रहे।

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